लगता है कि सामान्य वर्ग के छात्रों को राज्य के बाहर पढ़ने से रोकना चाहती है झारखंड सरकार : हाईकोर्ट
लगता है कि सामान्य वर्ग के छात्रों को राज्य के बाहर पढ़ने से रोकना चाहती है झारखंड सरकार : हाईकोर्ट
रांची:
झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य में नियुक्ति नियमावली पर स्टैंड साफ नहीं करने पर गुरुवार को झारखंड सरकार के प्रति गहरी नाराजगी जाहिर की। अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टि में सरकार की नियुक्ति नियमावली असंवैधानिक प्रतीत हो रही है। ऐसा लग रहा है कि झारखंड सरकार सामान्य वर्ग के छात्रों को झारखंड से बाहर जाकर पढ़ाई करने नहीं देना चाहती है। बाहर पढ़ाई करने पर उन्हें राज्य में नौकरी के अवसरों से रोकने की पीछे की मंशा समझ में नहीं आ रही है।झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ. रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत ने विगत एक दिसंबर को झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) की नियुक्ति नियमावली को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार को इससे जुड़ी मूल फाइल पेश करने और जवाब दाखिल करने को कहा था। सरकार ने अब तक इस मुद्दे पर जवाब दाखिल नहीं किया है। इसपर अदालत ने गुरुवार को कहा कि क्यों नहीं सारी नियुक्तियों पर रोक लगा दी जाए। इसपर सरकार की ओर से जवाब दाखिल करने के लिए अंतिम मौका देने का आग्रह किया गया, जिसे अदालत ने स्वीकार करते हुए मामले की अगली सुनवाई आठ फरवरी को निर्धारित की है।
बता दें कि झारखंड सरकार ने राज्य में कर्मचारी चयन आयोग द्वारा की जाने वाली नियुक्तियों के लिए यह नियम बनाया है कि अगर सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी ने राज्य के बाहर से मैट्रिक और इंटर की परीक्षा पास की है तो वे नियुक्ति परीक्षाओं के लिए आवेदन नहीं कर पायेंगे। इसके अलावा इन परीक्षाओं के लिए भाषा पेपर की सूची से हिंदी और अंग्रेजी को बाहर कर दिया गया है। इन प्रावधानों को असंवैधानिक बताते हुए रमेश हांसदा और कुशल कुमार ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है।
गुरुवार को याचिका पर सुनवाई के दौरान प्रार्थियों की अधिवक्ता अपराजिता भारद्वाज ने अदालत को बताया कि इस मामले में सरकार ने अब तक अपना जवाब नहीं दाखिल किया है, जबकि इस बीच जेएसएससी की ओर से नियुक्ति के लिए चार विज्ञापन जारी कर दिया गया है। इसकी वजह से प्रार्थी सहित अन्य लोग इन नियुक्तियों में आवेदन नहीं कर पा रहे हैं। इसपर अदालत ने कहा कि राज्य में नियुक्ति को लेकर अफरातफरी मची हुई है। कभी नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया जा रहा है, तो कभी नई नियमावली के नाम पर विज्ञापन को रद्द करने का खेल चल रहा है। जब राज्य में नियुक्तियों के लिए विज्ञापन निकाला जा रहा है। ऐसे में अगर इस मामले में जवाब देने में देरी की जाएगी, तो अन्य नियुक्तियां भी इससे प्रभावित होंगी।
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