झारखंड को नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है। नक्सलियों पर अंकुश के लिए राज्य में पारा मिलिटरी फोर्सेज की तैनाती के चलते राज्य की सरकार आज की तारीख में बड़ी कर्जदार हो गयी है। सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) ने राज्य सरकार पर 10 हजार 297 करोड़ की दावेदारी की है।
सीआरपीएफ के दिल्ली स्थित हेडक्वार्टर ने बकाया के भुगतान को लेकर राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखा है। इसकी प्रति राज्य के पुलिस महानिदेशक को भी भेजी गयी है। इसमें बकाया का पूरा विवरण दर्ज है। राज्य सरकार से आग्रह किया गया है कि झारखंड में सीआरपीएफ की तैनाती के एवज में पूरी राशि का भुगतान 90 दिनों में सुनिश्चित कराया जाये। इस अवधि में भुगतान किये जाने पर पांच प्रतिशत की रियायत दी जायेगी। ऐसा न होने पर इस राशि पर 2.5 प्रतिशत की दर से ब्याज भी देय होगा।
गौरतलब है कि राज्य में आज की तारीख में सीआरपीएफ की 19 बटालियनों की तैनाती है। इसके अलावा सशस्त्र सीमा बल की भी दो बटालियन यहां प्रतिनियुक्त हैं। इन्हें मुख्य तौर पर राज्य के नक्सल प्रभावित इलाकों में लगाया गया है। इन बलों की तैनाती पिछले डेढ़ दशक से भी ज्यादा वक्त से है। केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय ने पिछले वर्ष अपनी समीक्षा में पूरे देश में नक्सलियों के प्रभाव वाले कुल जिलों की संख्या 70 पायी थी। इनमें से नक्सलवाद से अति प्रभावित जिलों की संख्या 25 है। झारखंड में आठ जिले नक्सलियों के अति प्रभाव वाले हैं, जबकि आठ अन्य जिले सामान्य प्रभाव वाले माने गये हैं। अति माओवाद प्रभावित जिलों में चतरा, गिरिडीह, गुमला, खूंटी, लोहरदगा, लातेहार, सरायकेला- खरसावां, पश्चिमी सिंहभूम हैं, जबकि सामान्य प्रभाव वाले जिलों में रांची, बोकारो, धनबाद, पूर्वी सिंहभूम, सिमडेगा, गढ़वा, गिरिडीह और हजारीबाग शामिल हैं। इनमें गढ़वा जिले के बूढ़ा पहाड़ में नक्सलियों की बढ़ती हुई गतिविधियों को देखते हुए डिस्ट्रिक्ट ऑफ कन्सर्न के तौर पर चिन्हित किया गया है।
इन सभी जिलों में आईबी और पुलिस की खुफिया रिपोर्ट्स के आधार पर सेंट्रल पारा मिल्रिटी फोर्सेज की मदद से अभियान लगातार जारी है और नक्सलियों के प्रभाव में एक हद तक कमी भी आयी है। सिर्फ पिछले वर्ष यानी 2021 की बात करें तो झारखंड में 410 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया। इनमें माओवादी नक्सलियों के शीर्ष रणनीतिकारों में शामिल एक करोड़ का इनामी प्रशांत बोस भी शामिल था। बीते साल पांच नक्सली मुठभेड़ में मारे गये थे। इनमें बुद्धेश्वर उरांव, सनिचर सुरीन, महेश जी, विनोद भुइयां शामिल थे। झारखंड पुलिस के समक्ष 17 नक्सलियों ने पिछले साल आत्मसमर्पण भी किया था। इस साल यानी 2022 में अब तक 200 से ज्यादा नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया है, जबकि एक दर्जन से ज्यादा ने पुलिस और सुरक्षा बलों के सामने हथियार डाले हैं। पिछले साल नक्सलियों द्वारा अंजाम दिये गये वारदातों की संख्या 96 रही।
राज्य में कुल मिलाकर नक्सलियों की संख्या अब कुछेक हजार रह गयी है, लेकिन नक्सल प्रभावित जिलों में विधि-व्यवस्था और अमन-चैन कायम करने के लिए केंद्रीय बलों की 132 कंपनियां तैनात हैं। केंद्रीय एवं पुलिस बलों को मिलाकर लगभग 85 हजार जवान राज्य में तैनात हैं।
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Source : IANS