'तीन तलाक' पर जेडीयू मे फिर तरेरी आंख, कहा इस मसले पर नहीं हैं बीजेपी के साथ
तीन तलाक के मसले पर जदयू ने फिर से आंखें तरेरी हैं. पार्टी ने स्पष्ट कर दिया है कि एनडीए का घटक होने के बावजूद पार्टी तीन तलाक के मसले पर केंद्र सरकार के साथ नहीं है.
highlights
- जेडीयू ने तीन तलाक पर कहा समाज का मसला है समाज तय करे.
- पहले भी जेडीयू के विरोध के चलते रास नहीं पहुंचा था बिल.
- हालांकि पार्टी का कहना इससे एनडीए पर कोई कसर नहीं.
नई दिल्ली.:
नरेंद्र मोदी के बतौर प्रधानमंत्री दूसरे कार्यकाल की शुरुआत से ही एनडीए घटक जेडीयू से संबंध कुछ और कहानी कह रहे हैं. मंत्रिमंडल में हिस्सेदारी से इंकार के बाद जेडीयू ने बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार में बीजेपी को तरजीह नहीं दी थी. अब तीन तलाक के मसले पर जदयू ने फिर से आंखें तरेरी हैं. पार्टी ने स्पष्ट कर दिया है कि एनडीए का घटक होने के बावजूद पार्टी तीन तलाक के मसले पर केंद्र सरकार के साथ नहीं है. यह तब है जब मोदी 2.0 सरकार ने संसद के बजट सत्र में तीन तलाक को लेकर नया विधेयक लाने की बात केंद्र सरकार ने की है.
यह भी पढ़ेंः AN-32 : IAF के सर्च ऑपरेशन में 13 सवारों में से कोई भी जीवित नहीं मिला
जेडीयू ने कहा समाज से जुड़ा मसला
जेडीयू महासचिव और बिहार सरकार के मंत्री श्याम रजक ने तीन तलाक बिल पर स्पष्ट कहा है कि इस मामले में जेडीयू केंद्र सरकार के साथ नहीं है. उन्होंने कहा कि हमने पहले भी इसका विरोध किया था और अभी भी इसका विरोध करते हैं. हम आगे भी इसका विरोध करेंगे. उन्होंने कहा कि हमारे विरोध की वजह से ही तीन तलाक का बिल राज्यसभा में नहीं आ पाया था. तीन तलाक बिल को लेकर जेडीयू की राय पहले से ही साफ है. चूंकि यह समाज से जुड़ा मसला है. इसलिए जेडीयू का मानना है कि इस मामले को समाज को ही तय करने देना चाहिए.
यह भी पढ़ेंः शर्मनाक! रेप पीड़िता के शुद्धिकारण के लिए माता-पिता को पंचों ने सुनाया मांसाहारी भंडारे का फरमान
जेडीयू की राय मसले पर केंद्र से अलग
एनडीए का घटक दल होने के बावजूद एक महत्वपूर्ण विषय पर मुखालफत के सवाल पर उन्होंने कहा यह मामला एनडीए से नहीं जुड़ा है, बल्कि यह सरकार से जुड़ा हुआ मुद्दा है. इसलिए मुद्दे को लेकर जेडीयू राय बिल्कुल स्पष्ट है. दरअसल, केंद्रीय कैबिनेट ने 'तीन तलाक' (तलाक-ए-बिद्दत) की प्रथा पर पाबंदी लगाने के लिए बुधवार को नए विधेयक को मंजूरी दी थी. केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने यह जानकारी दी. गौरतलब है कि लोकसभा में किसी विधेयक के पारित हो जाने और राज्यसभा में उसके लंबित रहने की स्थिति में निचले सदन (लोकसभा) के भंग होने पर वह विधेयक निष्प्रभावी हो जाता है.
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Akshaya Tritiya 2024: 10 मई को चरम पर होंगे सोने-चांदी के रेट, ये है बड़ी वजह
-
Abrahamic Religion: दुनिया का सबसे नया धर्म अब्राहमी, जानें इसकी विशेषताएं और विवाद
-
Peeli Sarso Ke Totke: पीली सरसों के ये 5 टोटके आपको बनाएंगे मालामाल, आर्थिक तंगी होगी दूर
-
Maa Lakshmi Mantra: ये हैं मां लक्ष्मी के 5 चमत्कारी मंत्र, जपते ही सिद्ध हो जाते हैं सारे कार्य