जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) की छात्राओं के साथ प्रोफेसर द्वारा यौन उत्पीड़न और अश्लील बातें करने का कथित मामला सामने आया है।
वहीं एसएलएस विभाग में कार्यरत आरोपी प्रोफेसर ने कहा कि क्यूंकि वह विश्वविद्यालय प्रशासन की 'अनिवार्य उपस्थिति' पॉलिसी के समर्थक हैं इसलिए उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। आपको बता दें कि कैंपस में एसएलएस की छात्राओं के एक ग्रुप ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बयान जारी किया।
उन्होंने कहा, ‘प्रोफेसर अक्सर अश्लील कमेंटस करते हैं, खुलेआम सेक्स के लिए कहते हैं और लगभग हर लड़की की शारीरिक बनावट पर भद्दी टिप्पणी करते हैं। अगर इस पर कोई लड़की आपत्ति जताती है तो वह उसे अपना दुश्मन मान लेते हैं।'
छात्राओं ने कहा, ‘प्रोफेसर और प्रशासन के बीच वित्तीय सांठगांठ है। कई सालों से लैब के लिए कोई नया उपकरण नहीं खरीदा गया लेकिन फिर भी करोड़ों रुपये खर्च हो गये।’
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वहीं कुछ दिन के लिए लापता हुई रिसर्च स्कॉलर लड़की ने भी प्रोफेसर को ईमेल भेजकर कहा था, ‘मैं आपकी तथाकथित प्रतिष्ठित लैब छोड़ रही हूं, सिर्फ इसलिए क्योंकि आप चरित्रहीन व्यक्ति हैं और आपको लड़कियों से बात करने का सलीका नहीं आता।’
हालांकि लापता छात्रा मिल गई है। दिल्ली पुलिस का कहना है कि छात्रा ने कहा कि वह अपनी मर्जी से कहीं गई थी और वह ठीक है।
वहीं प्रोफेसर ने आरोपों से इंकार करते हुए कहा, ‘मैनें आरोप लगाने वाली लड़कियों को लैब में अनियमित रूप से उपस्थिति को लेकर 27 फरवरी को ईमेल मिला था जिस कारण वो मुझे निशाना बना रही हैं।’
गौरतलब है कि साल 2015 में भी एक जेएनयू प्रोफेसर पर विदेशी छात्रा के साथ यौन उत्पीड़न का मामला सामने आया था जिसमें उसे दोषी पाए जाने के बाद उन्हें बर्खास्त कर दिया गया था।
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Source : News Nation Bureau