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जेडीयू के संगठनात्मक चुनावों को अदालत में चुनौती

जेडीयू के संगठनात्मक चुनावों को अदालत में चुनौती

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IANS
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Janata Dal

(source : IANS)( Photo Credit : (source : IANS))

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जनता दल (यूनाइटेड) के एक पूर्व नेता गोविंद यादव ने पार्टी के संगठनात्मक चुनावों को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती देकर उनके असंवैधानिक होने का दावा किया है।

जेडीयू के पूर्व नेता गोविंद यादव ने शुक्रवार को प्रेस वार्ता में कहा कि उन्होंने पहले निर्वाचन आयोग (ईसी) के समक्ष मामले को उठाया था, जिसके बाद अब अदालत का रुख किया और साल 2016, 2019 और 2022 में जेडीयू में संगठनात्मक चुनावों को चुनौती दी है। इसके साथ ही उन्होंने पार्टी से खुद को निकाले जाने पर भी सवाल उठाए हैं।

गोविंद यादव ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि जेडीयू के संविधान अनुसार पुन: संगठनात्मक चुनाव कराने की मांग को लेकर न्यायालय ने चुनाव आयोग को अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है। उन्होंने बताया की मामले की अगली सुनवाई 14 मार्च को निर्धारित है।

उन्होंने कहा कि पार्टी की 28 राज्यों में इकाइयां हैं, लेकिन चुनावों में उनमें से सिर्फ पांच राज्यों को ही भागीदार बनाया गया ताकि अध्यक्ष के तौर पर चयनित लोगों का चुनाव कराया जा सके। उनका इशारा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर था।

उन्होंने कहा- यह असंवैधानिक है। मैंने छात्र जीवन से समाजवादी आंदोलन से प्रभावित होकर जेडीयू को ज्वाइन की थी। 1986 में इसी पार्टी में हूं और समाजवादी संकल्प को लेकर जीता हूं। आज जेडीयू पार्टी में नियमों को ताक पर रख फर्जी तरीके से अध्यक्ष के चुनाव हो रहे हैं।

उन्होंने कहा कि जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साल 2016, 2019 के असंवैधानिक निर्वाचन एवं जेडीयू की वर्ष 2022 की संपूर्ण संगठनात्मक चुनाव प्रक्रिया को माननीय उच्च न्यायालय दिल्ली में याचिका दायर कर चुनौती दी गयी है।

जेडीयू नेता गोविन्द यादव ने बताया कि दिल्ली उच्च न्यायालय में उन्होंने संबंध में क्रमांक डब्ल्यू.पी. (सी) 2137 /2023 के तहत याचिका दायर की है। जिसमें भारत सरकार, निर्वाचन आयोग, नीतीश कुमार (पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष, जेडीयू) अनिल हेगडे, (राज्य सभा सदस्य), आर.सी.पी. सिंह (पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष, जेडीयू), राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, (वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष, जेडीयू) अहफाक अहमद, जावेद रजा, अरूण कुमार श्रीवास्तव सहित कुल 10 लोगों को प्रतिवादी बनाया गया है।

गोविंद यादव दिवंगत समाजवादी नेता शरद यादव के करीबी लोगों में शुमार थे। साल 2017 में बिहार में महागठबंधन तोड़कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से हाथ मिला लेने के नीतीश कुमार के फैसले की वजह से शरद यादव, कुमार से अलग हो गए थे। हालांकि, कुमार पिछले साल भाजपा का साथ छोड़कर फिर से महागठबंधन में शामिल हो गए हैं।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Source : IANS

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