बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल (युनाइटेड) में चल रहे शीत युद्ध के सतह पर आने के बाद अब कार्यकर्ताओं में पार्टी बिखरने का भय सताने लगा है। पार्टी नेतृत्व की ओर से जिस तरह केंद्रीय मंत्री आर सी पी सिंह और उनके समर्थकों को साइड लाइन (हाशिये) पर डाला जा रहा है, उससे कार्यकर्ताओं में पार्टी में टूट का भय भी उत्पन्न हो गया है।
इसमें कोई दो मत नहीं कि पार्टी में कभी आर सी पी सिंह दूसरे नंबर के नेता रहे हंै और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सबसे करीबी भी माने जाते थे। ऐसे में पार्टी पर इनकी अपनी पकड़ को नकारा नहीं जा सकता है।
जिस तरह, आरसीपी सिंह को पहले राज्यसभा का टिकट काटा गया और उसके बाद फिर पटना स्थित उनके सरकारी आवास से बेदखल किया गया, उससे उनके समर्थकों में नाखुशी है। कहा जा रहा है कि सिंह के कार्यकर्ता भले ही अभी पार्टी नेतृत्व के खिलाफ खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं, लेकिन समय आने पर यह पार्टी के खिलाफ आवाज भी बुलंद कर सकते हैं।
पार्टी नेतृत्व भी सिंह के ऐसे समर्थकों से बचने का उपाय ढूंढ लिया है। पार्टी नेतृत्व हाल में ही सिंह के नजदीकी माने जाने वाले पार्टी प्रवक्ता अजय आलोक तथा दो महासचिवों सहित पार्टी के चार नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
पार्टी से हटाए जाने के बाद डॉ अजय आलोक ने अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए लिखा, प्रकृति का नियम हैं मौसम बदलता हैं और आदमी भी बदलता है लेकिन मूल चरित्र नहीं बदलता , मैं आज से अपने मूल स्वरूप में रहूंगा, पाटलिपुत्र क्रांति की जननी रही हैं और मैं इस धरती का पुत्र हूं और इस साल की बारिश पूरे वेग में रहेगी। जय हिंद।
इसके बाद उन्होंने जनसंख्या नियंत्रण कानून नहीं बनाए जाने पर भी इशारों ही इशारों में बिहार सरकार पर निशाना साधा है। ऐसे बयानों को संकेत माना जा रहा है कि आने वाले समय में जदयू में भूचाल आएगा।
कार्यकर्ता भी मानते हैं कि भले अभी लोगों के बीच खुल कर विरोध के स्वर नहीं उभर रहा हों, लेकिन आने वाले समय में विरोध को लेकर भय व्याप्त है। पार्टी के नेता इस मामले में खुलकर तो नहीं बोलते हैं, लेकिन वे साफगोई से इतना जरूर कहते हैं कि आरसीपी सिंह के बनाए गए प्रकोष्ठों को भंग कर दिया गया। आखिर प्रकोष्ठ के अध्यक्ष और पदाधिकारी तो पार्टी नेतृत्व से खफा हैं।
सूत्र तो यहां तक दावा कर रहे हैं कि पार्टी के कई विधायक भी केंद्रीय मंत्री सिंह के समर्थन में हैं, जो समय आने पर उनके साथ खड़े हो सकते हैं। सूत्र का दावा है कि जब सिंह पार्टी में दूसरे नंबर के नेता थे, तब उनके समर्थकों की पार्टी में पूछ थी, उसमें से भी कई आज विधायक भी हैं।
पार्टी के वरिष्ठ नेता उपेंद्र कुशवाहा केंद्रीय मंत्री से सिंह के इस्तीफे की मांग भी कर चुके हैं। राज्यसभा का टिकट नही मिलने के बाद उनके केंद्रीय मंत्री बने रहने की संभावना नहीं के बराबर है। जिस तरह सिंह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुरीद बने हैं, उससे इस संभावना को भी बल मिलता है कि कहीं वे भाजपा में नहीं चले जाएं।
बहरहाल, अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी है। हालांकि कहा भी जाता है कि राजनीति में कुछ भी संभव है। ऐसे में सिंह को लेकर जदयू में शीतयुद्ध जारी है और इससे पार्टी में बिखराव की संभावना को भी नहीं नकारा जा सकता है।
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Source : IANS