शोपियां फायरिंग: FIR को सेना ने बताया दुर्भाग्यपूर्ण, BJP सांसद स्वामी ने मांगी रक्षा मंत्री से सफाई
जम्मू-कश्मीर के शोपियां जिले में सेना की गोलीबारी से हुई दो युवकों की मौत के बाद दर्ज हुई एफआईआर को लेकर आर्मी ने दुख जताया है।
highlights
- शोपियां जिले में सेना की गोलीबारी से हुई दो युवकों की मौत के बाद दर्ज हुई एफआईआर को सेना ने बताया दुर्भाग्यपूर्ण
- वहीं बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण से इस मामले में स्पष्टीकरण दिए जाने की मांग की है
नई दिल्ली:
जम्मू-कश्मीर के शोपियां जिले में सेना की गोलीबारी से हुई दो युवकों की मौत के बाद दर्ज हुई एफआईआर को लेकर आर्मी ने दुख जताया है।
वहीं भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण से इस मामले में सफाई दिए जाने की मांग की है कि क्या उनकी इजाजत पर सेना के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया।
स्वामी ने ट्वीट कर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण से पूछा है कि क्या कश्मीर में सेना के खिलाफ एफआईआर दर्ज़ करने की इजाजत उन्होंने दी थी, जैसा कि विधानसभा में महबूबा मुफ्ती दावा कर रही हैं।
सेना ने कहा कि ऐसे मामलों में एफआईआर दर्ज होना दुखद है। नॉर्दर्न कमांड के लेफ्टिनेंट जनरल डी अंबू ने कहा, 'यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसे मामलों में एफआईआर दर्ज किया गया। मुझे लगता है कि उन्होंने बचकाना हरकत करते हुए इसमें लोगों के नाम डाल दिए हैं। मुझे उम्मीद है कि जांच में सब कुछ सामने आ जाएगा।'
गौरतलब है कि शोपियां जिले में सेना की गोलीबारी में हुई दो लोगों की मौत के बाद जम्मू-कश्मीर की पुलिस ने सेना के खिलाफ हत्या और हत्या की कोशिश का मामला दर्ज किया था, जिसमें गढ़वाल रेजीमेंट के मेजर को भी नामजद किया गया है।
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अब इस मामले में मरने वालों की संख्या दो से बढ़कर तीन हो चुकी है।
मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती इस मामले को लेकर जांच का आदेश भी दे चुकी हैं। इस मामले को लेकर राज्य की बीजेपी-पीडीपी गठबंधन की सरकार में दरार पड़ती नजर आ रही है।
पीडीपी ने जहां इस मामले को निष्कर्ष तक पहुंचाने का वादा किया है वहीं बीजेपी सेना के खिलाफ दर्ज एफआईआर को वापस लेने का दबाव बना रही है।
बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी इसे लेकर राज्य सरकार को बर्खास्त तक किए जाने की मांग कर चुके हैं।
सेना यह स्पष्ट कर चुकी है कि वह इस मामले में कोई कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी नहीं कराएगी। सेना का मानना है कि कट्टरपंथियों की भीड़ का शिकार बनने से बचने के लिए आत्मरक्षा में सेना के दस्ते का फायरिंग करना सही फैसला था।
दरअसल 27 जनवरी को तीन क्विक रिएक्शन टीमों समेत सेना की बीस गाड़ियों का काफिला शोपियां में बालापुरा से घनपुरा की ओर जा रहा था। तभी तीन गाड़ियां काफिले से कुछ अलग हो गई, जिस पर भीड़ ने उग्र होकर पत्थरबाजी शुरू कर दी।
शुरू में सेना का एक जेसीओ सर पर पत्थर लगने से घायल होकर गिर गया। इसके बाद सेना के जवानों ने पत्थरबाजों को चेतावनी दी। बार बार चेतावनी के बावजूद भीड़ पर कोई फर्क़ नहीं पड़ा। इसके बाद सेना ने हवाई फायरिंग करके आगाह किया। बाद में सेना ने आत्मरक्षा में गोली चलाई।
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