पुलवामा हमला: शहीदों का परिवार चाहता है प्रतिशोध, कहा- अब बातचीत का समय नहीं रहा, दे कड़ा जवाब
पुलवामा हमले में शहीद हुए उत्तर प्रदेश के महाराजगंज और कन्नौज जिलों के शहीदों के परिवार वालों की मांग है कि शहादत का कड़ा प्रतिशोध लिया जाना चाहिए.
नई दिल्ली:
पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए उत्तर प्रदेश के महाराजगंज और कन्नौज जिलों के शहीदों के परिवार वालों की मांग है कि शहादत का कडा प्रतिशोध लिया जान चाहिए. महाराजगंज में फरेंदा थाना क्षेत्र के हरपुर मिश्रा गांव के निवासी पंकज त्रिपाठी (35) छुटिटयां बिताने गांव आये थे और तीन दिन पहले ही डयूटी जाने के लिए लौटे थे. उनके परिवार में पत्नी रोहिणी और तीन साल का एक बेटा है. आतंकी हमले के बारे में सूचना देने के लिए कल आया फोन पंकज के परिवार वालों पर ही नहीं बल्कि पूरे गांव पर दुखों का पहाड़ लेकर टूटा.
पंकज के पिता ओम प्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि किसी अधिकारी ने बेटे के बारे में फोन पर सूचना दी. कोई संदेह नहीं कि हमें इस बात पर गर्व है कि हमारे पुत्र ने मातृभूमि के लिए अपने जीवन की कुर्बानी दी लेकिन सरकार को हमलावरों के खिलाफ कडी कार्रवाई करनी चाहिए. अब बातचीत का समय नहीं रहा, प्रतिशोध लेने का समय है. पंकज यहां आया था और हमारे साथ दो महीने से अधिक समय रहा था.
समूचा गांव दुख और सदमे में है. खबर मिलने के बाद से किसी के घर में खाना नहीं बना. सब प्रतिशोध की मांग कर रहे हैं. बीच बीच में 'शहीद पंकज अमर रहें, बदला लो बदला लो, पाकिस्तान से बदला लो' जैसे नारे सुनायी देते हैं. पंकज के भाई शुभम त्रिपाठी ने कहा कि जब उनका भाई छुटिटयों में आया था तो उन्होंने कहा था कि उनका दिल्ली तबादला हो जाएगा और वह अप्रैल में यहां फिर आएंगे. 'मैंने भाई खोया है. कोई चीज उसकी भरपायी नहीं कर सकती. नेताओं को खूब सुरक्षा मिलती है जबकि सैनिक मोर्चे पर रखे जाते हैं. उनके हाथ बंधे हुए होते हैं. उन्हें ऐसी घटनाओं के प्रति कार्रवाई की आजादी नहीं होती.'
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कन्नौज जिले में तिरवा थाना क्षेत्र के अजान सुखसेनपुर गांव में भी ऐसा ही नजारा है. यहां का बेटा प्रदीप कुमार यादव उस बस पर सवार था, जो आतंकी हमले में नष्ट हो गयी. प्रदीप यादव भी दस फरवरी को गांव से गये थे. उनके परिवार में पत्नी और दो बेटियां हैं. देवरिया के भटनी थाना क्षेत्र में जयदेव छपिया गांव के शहीद विजय कुमार मौर्य (30) के पिता आतंकी हमले के लिए पाकिस्तान को कड़ा जवाब देने की मांग कर रहे हैं.
रामायण मौर्य ने कहा कि उन्हें अपने बेटे पर गर्व है, जिसने देश के लिए जीवन कुर्बान किया लेकिन सरकार को पाकिस्तान को जल्द से जल्द करारा जवाब देना चाहिए. कार्रवाई इतनी कडी होनी चाहिए कि पाकिस्तान कभी भी हमारी जमीन पर घुसपैठ कर हमारे सैनिकों को मारने की हिम्मत ना करने पाये. सीआरपीएफ की 92वीं बटालियन के विजय नौ साल पहले इस बल में शामिल हुए थे. उनका 2014 में विवाह हुआ था. विजय के परिवार में पत्नी विजयलक्ष्मी और डेढ साल की एक बेटी है. वह छुटिटयां पूरी करने के बाद नौ फरवरी को ही जम्मू के लिए रवाना हुए थे.
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समूचे गांव में जबर्दस्त गुस्सा है. पाकिस्तान विरोधी नारेबाजी हो रही है. सैकड़ों लोगों की भीड़ शुक्रवार सुबह से ही शहीद के घर के सामने एकत्रित है. शहीद की पत्नी ने कहा कि वह अपना पति खो चुकी हैं और उनकी बेटी ने पिता खोया है. जब भी ऐसी घटनाएं होती हैं, कई सारे लोग भावनाएं व्यक्त करते हैं लेकिन चार पांच दिन बाद सब कुछ सामान्य हो जाता है और सरकार कभी कुछ नहीं करती.
कानपुर देहात में डेरापुर थाना क्षेत्र के रैंगावां मजरा, नोनारी गांव के शहीद बेटे श्याम बाबू के परिवार वाले भी आक्रोशित हैं. श्याम बाबू के परिवार में पत्नी रूबी, चार वर्षीय बेटा लकी और नवजात पुत्री आरूषि है. परिवार में बूढे पिता राम दास, मां कैलाशी देवी के अलावा भाई बहन भी हैं. नाराज परिवार विशेषकर पत्नी रूबी का कहना है कि सरकार पाकिस्तान को सबक सिखाये ताकि वह आतंकवाद और आतंकी संगठनों का समर्थन बंद करे.
रूबी ने कहा कि अब भारत सरकार किस बात का इंतजार कर रही है. पाकिस्तान और उसकी जमीन पर पल रहे आतंकवादियों को 'जैसे को तैसा' जवाब दिया जाना चाहिए.
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