जम्मू-कश्मीर में बीते दो दिनों से नियंत्रण रेखा के पास एक बेचैनी भरी शांति कायम है, इसके बावजूद यहां सीमा पर रहने वाले सैकड़ों लोग चिंतित हैं. भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने के बाद 778 किलोमीटर लंबे नियंत्रण रेखा के पास रहने वाले लोग एक पखवाड़े से ज्यादा समय से पाकिस्तानी सेना की ओर से संभावित गोलीबारी व गोलाबारी के डर से रात जगकर बिता रहे हैं. नौशेरा के एक 67 वर्षीय निवासी नूर खटाना ने कहा, 'मौजूदा शांति का यह मतलब नहीं है कि हम बंदूकों के गरजने का इंतजार कर सकते हैं.'
उन्होंने कहा, 'हमने मोर्टार दागे जाने और गोलीबारी के बीच इस तरह की शांति देखी है. जबतक दोनों देश संघर्ष विराम का उल्लंघन नहीं करने की शपथ लेंगे, तबतक हमें फिर से इसे झेलने के लिए तैयार रहना होगा.' भारतीय सेना ने कहा है कि बीते दो दिनों में 2003 संघर्ष विराम समझौते का उल्लंघन नहीं हुआ है.
नियंत्रण रेखा और 210 किलोमीटर के अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर जवान अभी भी मुस्तैदी से तैनात हैं. दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने के बाद सबसे ज्यादा पुंछ और राजौरी जिले के सीमावर्ती गांवों को परेशानी झेलनी पड़ी है. सीमावर्ती क्षेत्रों के कुछ घर गोलाबारी से क्षतिग्रस्त हो गए हैं.
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जिला अधिकारियों ने इन गांवों के लोगों को जब तक जरूरी ना हो, घर से नहीं निकलने की सलाह दी है. दोनों जिलों में नियंत्रण रेखा के पांच किलोमीटर के दायरे में शैक्षणिक संस्थान बंद रखे गए हैं. एक अधिकारी ने कहा, 'हम अगले कुछ दिनों तक स्थिति पर अपनी नजर रखेंगे और तब शैक्षणिक संस्थानों को खोलने का निर्णय करेंगे.'
Source : IANS