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माछिल एनकाउंटर: सेना के 5 जवानों को मिली जमानत, आजीवन कारावास की सजा निलंबित

चर्चित माछिल फर्जी मुठभेड़ मामले में सजा पाये 5 सेना के जवानों की आजीवन कारावास की सजा निलंबित कर दी गई।

Updated on: 28 Jul 2017, 12:41 AM

highlights

  • माछिल फर्जी मुठभेड़ मामले में सजा पाये 5 सेना के जवानों को जमानत
  • सैन्य ट्रिब्यूनल ने 5 जवानों की आजीवन कारावास की सजा निलंबित की
  • 2010 में फर्जी मुठभेड़ में सेना के जवानों ने 3 कश्मीरियों की हत्या कर दी थी

नई दिल्ली:

चर्चित माछिल फर्जी मुठभेड़ मामले में सजा पाये 5 सेना के जवानों की आजीवन कारावास की सजा निलंबित कर दी गई। साथ ही सजा भुगत रहे जवानों को जमानत पर रिहा कर दिया गया।

जम्मू-कश्मीर के माछिल में 29 और 30 अप्रैल 2010 की दरमियानी रात में हुए फर्जी मुठभेड़ में 3 कश्मीरियों की हत्या कर दी गई थी। इस मामले में कोर्ट ने 2 सेना के अधिकारियों और 3 जवानों को दोषी पाया था। इसके बाद देशभर में इसकी चर्चा हुई थी।

सेना की गोलीबारी में मारे गये लोगों की पहचान बारामूला जिले के नदीहाल इलाके के रहने वाले मोहम्मद शाफी, शहजाद अहमद और रियाज अहमद के रूप में की गई थी। उन्हें कथित तौर पर सीमावर्ती इलाके में ले जाकर गोली मारी गई। सेना का कहना था की सभी पाकिस्तानी थे।

एक अधिकारी ने बताया, 'सैन्य ट्रिब्यूनल ने कर्नल दिनेश पठानिया, कैप्टन उपेंद्र, हवलदार देवेंद्र कुमार, लांस नायक लखमी और लांस नायक अरुण कुमार का आजीवन कारावास निलंबित कर दिया गया और उन्हें जमानत दे दी गई है।'

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ट्रिब्यूनल कोर्ट के फैसले के बाद कर्नल दिनेश पठानिया के वकील अमन लेखी ने कहा, 'ट्रिब्यूनल का बड़ा फैसला है। मैं खुश हूं।' वहीं सरकार ने कोर्ट में जवानों की जमानत का कड़ा विरोध किया।

सेना के सूत्रों ने कहा कि ट्रिब्यूनल ने केवल आजीवन कारावस को निलंबित किया है। अंतिम फैसला जल्द आएगा। पांच जवानों को 2014 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। सभी ने बाद में ट्रिब्यूनल में सजा को चुनौती दी थी।

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