राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने बुधवार को संकेत दिया कि उन्हें उनके बयान की वजह से जम्मू-कश्मीर से बाहर भेजा जा सकता है. उन्होंने कहा था कि नई दिल्ली (केंद्र सरकार) पीपुल्स कांफ्रेंस के नेता सज्जाद लोन को जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहती थी. वरिष्ठ कांग्रेस नेता गिरधारी लाल डोगरा की पुण्यतिथि के अवसर पर हुए एक कार्यक्रम में मलिक ने कहा, 'जब तक मैं यहां हूं, मैं यहां हूं. यह मेरे हाथ में नहीं है. लेकिन, तबादले का डर बना हुआ है.'
उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं पता मेरा यहां से कब तबादला हो जाएगा. लेकिन जब तक मैं यहां हूं, मैं लोगों को आश्वस्त करता हूं कि जब भी आप मुझे बुलाएंगे, मैं आ जाऊंगा.
मलिक ने 24 नवंबर को ग्वालियर में सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया था कि अगर वह जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक संकट के लिए दिल्ली के दिशा-निर्देशों की ओर देखते तो उन्हें बीजेपी समर्थित सज्जाद लोन को मुख्यमंत्री बनाना पड़ता. मलिक ने कहा, लेकिन वह ऐसा करना नहीं चाहते थे. उनके बयान पर विवाद होने के बाद, राजभवन ने एक बयान जारी कर कहा था कि राज्य विधानसभा भंग करने के दौरान राज्यपाल ने निष्पक्ष निर्णय लिया.
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बयान के अनुसार, 'पूरे मामले में केंद्र की ओर से कोई न तो कोई दबाव था और न ही कोई हस्तक्षेप. कुछ समाचार चैनलों ने राज्यपाल के बयान को तोड़-मरोड़ कर इस तरह से पेश किया कि जैसे केंद्र सरकार से किसी प्रकार का दबाव था.' इस आशय की सूचनाएं थीं कि पीडीपी, नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस राज्य में सरकार बनाने के लिए गठबंधन के करीब हैं और इसी बीच मलिक ने 21 नवंबर को सदन को भंग कर दिया.
Source : IANS