जम्मू-कश्मीर: एकतरफा सीज़फायर के लिये स्थिति अनुकूल नहीं, वाजपेयी काल में भी फेल रहा प्रयास
जम्मू-कश्मीर में एकतरफा सीज़फायर के एलान के सुझाव पर केंद्र सरकार बहुत दिलचस्पी नहीं दिखा रही है। सरकार का कहना है कि साल 2000 में इस तरह की कोशिश का कोई सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आया था।
नई दिल्ली:
जम्मू-कश्मीर में एकतरफा सीज़फायर के एलान के सुझाव पर केंद्र सरकार बहुत दिलचस्पी नहीं दिखा रही है। सरकार का कहना है कि साल 2000 में इस तरह की कोशिश का कोई सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आया था।
अधिकारियों का कहना है कि महबूबा मुफ्ती के सुझाव पर अगर अमल किया भी जाए तो पाकिस्तानी आतंकी सरकार के सीज़फायर के एलान को मानेंगे और वो भी ऐसा ही करेंगे इसकी कोई गारंटी नहीं है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने याद दिलाते हुए कहा कि 18 साल पहले साल 2000 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के चार महीने के नॉन इनिसिएशन ऑफ कॉम्बैट ऑपरेशंस की घोषणा किये जाने के बाद श्रीनगर एयरपोर्ट पर बड़ा आतंकी हमला हुआ था। साथ ही कहा कि आज की परिस्थिति में इस तरह की घोषणा को 'कमज़ोरी' माना जाएगा।
उन्होंने नाम न बताने की शर्त पर कहा, 'साल 2000 में लगभगद सभी आतंकियों ने सरकार की इस पहल को खारिज कर दिया था। कई अब भी याद करते हैं कि उस चार महीने के दौरान आतंकी मुक्त होकर कश्मीर की सड़कों पर घूमते थे। इसकी क्या गारंटी है कि वो इस बार वैसा नहीं करेंगे।'
साल 2000 में श्रीनगर एयरपोर्ट पर सीज़फायर लागू होने के दौरान लश्कर के 6 आतंकियों ने हमला कर दिया था। जिसमें 2 सुरक्षा बल के जवान और 2 नागरिकों की मौत हो गई थी। जवाबी कार्रवाई में सभी 6 आतंकियों को मार गिराया गया था।
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि घाटी में वर्तमान स्थिति 'खराब' है और पिछले चार महीने में हिंसा की 80 घटनाएं हो चुकी हैं। मुठभेड़ वाली जगहों पर स्थानीय लोग निकल आते हैं और प्रदर्शन करते हैं ताकि आतंकियों को निकल भागने में मदद मिल सके।
अधिकारी ने कहा कि ऐसी परिस्थिति में साज़फायर की घोषणा सरकार की 'कमजोरी' मानी जाएगी। साथ ही आतकी हमलों का उदाहरण दिया जिसमें अमरनाथ यात्रियों पर हमला भी शामिल है।
हालांकि अधिकारी ने कहा कि ये एक राजनीतिक फैसला होगा और इस संबंध में उच्चस्तरीय स्तर पर फैसला लिया जाएगा।
कश्मीर घाटी में तनावपूर्ण हालात को लेकर 10 मई को हुई सर्वदलीय बैठक के बाद सीएम महबूबा मुफ़्ती ने कहा कि वह पीएम मोदी से मुलाक़ात करेंगी और घाटी में शांतिपूर्ण हालात कायम करने को लेकर बातचीत करेंगे।
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उन्होंने कहा कि वो केंद्र सरकार से अपील करेंगे कि वो वाजपेयी जी सीख लेते हुए घाटी में शांति व्यवस्था कायम करने के लिए एकतरफा संघर्ष विराम पर विचार करें।
बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुई महबूबा मुफ़्ती ने कहा, 'हम केंद्र सरकार से अपील करेंगे कि वो एकतरफा संघर्ष विराम पर विचार करें जैसा कि साल 2000 में वाजपेयी जी ने किया था। गोलीबारी की वजह से आम लोगों को परेशानी झेलनी पड़ती है। इसलिए हमें कुछ ऐसे क़दम उठाने होंगे जिससे कि ईद और कैलाश यात्रा के दौरान घाटी का माहौल शांत रह सके।'
इस साल घाटी में सुरक्षा बलों ने 55 आतंकियों को मार गिराया जिसमें 27 स्थानीय आतंकी शामिल हैं।
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