आतंकी बुरहान वानी के जनाजे में घंटों रोया था हिजबुल कमांडर सबजार बट, जानें खास बातें
वानी का बेहद नजदीकी रहा बट, वानी के अंतिम संस्कार के दौरान रोता रहा। वानी के अंतिम संस्कार में बट तथा उसके साथी आतंकवादियों ने हवा में गोली चलाकर वानी को अंतिम सम्मान दिया था।
नई दिल्ली:
दक्षिणी कश्मीर के पुलवामा जिले के त्राल में शनिवार को सुरक्षा बलों के हाथों मारा गया हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर सबजार बट ने अप्रैल, 2015 में पूर्व कमांडर बुरहान वानी के छोटे भाई खालिद मुजफ्फर के मारे जाने के बाद आतंकवाद का दामन थामा था।
वानी का बेहद नजदीकी रहा बट, वानी के अंतिम संस्कार के दौरान रोता रहा। वानी के अंतिम संस्कार में लाखों की संख्या में लोग इकट्ठा हुए थे और बट तथा उसके साथी आतंकवादियों ने हवा में गोली चलाकर वानी को अंतिम सम्मान दिया था।
त्राल में ही रहने वाले युवा मुजफ्फर की सुरक्षा बलों के हाथों मारे जाने से बट इतना इतना बौखला गया कि उसने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के एक जवान की राइफल छीन ली और आतंकवादी संगठन में शामिल होने जंगलों की ओर भाग गया।
हिजबुल से जुड़ने के साथ ही बट को ऊंचा ओहदा दिया गया और वह वानी की मुख्य टीम का हिस्सा बन गया।
बट ने आम नागरिकों के बीच अपना नेटवर्क तैयार किया, जो इलाके में आतंकवादी संगठन को मदद मुहैया कराते थे। बट की वानी को गले लगाते, उसे पीठ पर उठाए मुस्कुराती हुई तस्वीरें सोशल मीडिया के जरिए कश्मीर में तेजी से फैल जातीं।
अपने एक साथी आतंकवादी फैजान के साथ 28 वर्षीय बट शनिवार को त्राल के सैमोह गांव में सुरक्षा बलों के हाथों चार घंटे चली मुठभेड़ में मार गिराया गया। बट की मौत के बाद पूरे कश्मीर में विभिन्न जगहों पर विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गया है, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई और कई घायल हो गए।
त्राल के रुस्तम गांव का रहने वाला बट पिछले दो साल से इलाके में बेहद सक्रिय था। पुलिस की वांछित सूची में 'ए प्लस प्लस' श्रेणी में सबसे ऊपर रखा गया बट पिछले वर्ष जुलाई में सुरक्षा बलों के हाथों मारे गए वानी के अंतिम संस्कार में सार्वजनिक तौर पर शामिल हुआ। इसके अलावा पुलवामा के करीमाबाद गांव में अस्थिरता के दौरान एक विरोध प्रदर्शन में भी शामिल हुआ।
बट कथित तौर पर अनेक राष्ट्र विरोधी अभियानों में शामिल रहा और पुलिस की वांछितों की सूची में सबसे ऊपर था। बट के सिर पर 10 लाख रुपये का इनाम भी था।
सुरक्षा बलों पर हमला करने के अलावा बट पर घाटी में पुलिस के कई मुखबिरों की हत्या का आरोप भी है।
शनिवार की मुठभेड़ में मारे जाने से पहले बट अनेक बार सुरक्षा बलों के जाल से बच निकलने में कामयाब रहा था। पिछले महीने जब सुरक्षा बलों ने दक्षिणी कश्मीर के शोपियां जिले में 20 से अधिक गांवों को घेरकर तलाशी अभियान चलाया था, तो उसका मकसद बट की तलाश माना जा रहा था, लेकिन तब भी बट बच निकलने में सफल रहा था।
और पढ़ें: रमजान पर कश्मीर को दहलाना चाहता है पाकिस्तान, सुरक्षाबलों ने 24 घंटे में मार गिराये 10 आतंकी
पिछले साल जुलाई में वानी के मारे जाने के बाद युनाइटेड जिहाद काउंसिल (यूजेसी) ने बट को वानी का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया, हालांकि तब वानी के एक अन्य निकट सहयोगी जाकिर राशिद बट उर्फ जाकिर मूसा ने घाटी में हिजबुल की कमान संभाल ली थी। वानी, बट और मूसा घाटी में हिजबुल के कोर ग्रुप में शामिल थे।
मूसा ने इसी महीने इससे पहले, वैचारिक मतभेद के चलते खुद को हिजबुल से अलग कर लिया और आतंकवादी संगठन को छोड़ दिया। सोशल मीडिया पर बेहद लोकप्रिय रहे वानी की तस्वीरों में उसके साथ बट और मूसा को नकाब पहने देखा जा सकता है।
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