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जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने से बदल गया वहां का कानून, अब कश्मीर में नहीं चलेगी RPC, लागू होगी IPC

जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद वहां कई चीजें बदलेंगी, जिसमें एक भारतीय दंड संहिता भी है. जम्मू-कश्मीर में भारतीय दंड संहिता (IPC) पहले लागू नहीं थी.

Updated on: 05 Aug 2019, 02:47 PM

नई दिल्ली:

जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद वहां कई चीजें बदलेंगी, जिसमें एक भारतीय दंड संहिता भी है. जम्मू-कश्मीर में भारतीय दंड संहिता (IPC) पहले लागू नहीं थी. लेकिन धारा 370 के हटाए जाने से अब वहां पर कानूनी मामलों में कोर्ट आईपीसी के तहत कार्रवाई करेगी. इसके साथ ही रणबीस दंड संहिता खुद ब खुद हट जाएगी. सबसे पहले बताते हैं रणबीर दंड संहिता है क्या?

रणबीर दंड संहिता को रणबीर आचार संहिता भी कहा जाता है. जम्मू-कश्मीर में ब्रिटिश शासन काल से रणबीर दंड संहिता लागू थी. 1932 में महाराजा रणबीर सिंह के नाम पर रणबीर दंड संहिता लागू की गई थी. क्योंकि आजादी से पहले जम्मू-कश्मीर एक स्वतंत्र रियासत थी. वहां के शासक रणबीर सिंह थे. इसलिए उनके नाम पर यह दंड संहिता बनाया गया. आम बोलचाल की भाषा में इसे आईपीसी(RPC) कहा जाता है. IPC की तरह ही RPC है, लेकिन इसकी कुछ धाराओं में अंतर है. आई देखते हैं आरपीसी में क्या कुछ है जो अब धारा 370 लग जाने के बाद खत्म हो गया है.

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-अगर कोई किसी जनसभा में या फिर सार्वजनिक जगह पर घातक हथियार ले जाता है तो आरपीसी में दंड का कोई जिक्र नहीं है. वहीं भारतीय दंड संहिता की धारा 153 सीएए के तहत उसे दंड दिया जाता है.

-कोर्ट में जबरन झूठी गवाही या बयान दिलाने पर आईपीसी में इसे जुर्म माना जाता है. धारा 195 के तहत इसमें दंड का प्रावधान है, लेकिन रणबीर दंड संहिता में इस बाबत कोई धारा नहीं है.

-अगर कंप्यूटर यानी साइबर क्राइम जैसा कोई मामला होता है तो आरपीसी में इस बाबत कोई जिक्र नहीं है. जबकि आईपीसी में दंड का प्रावधान है.

-रणबीर दंड संहिता में दहेज हत्या को लेकर कोई कानून नहीं है, वहीं आईपीसी में दहेज को लेकर कई धाराएं हैं.

-रणबीर दंड संहिता में एक ऐसी धारा है जिसके तहत वहां की सरकार किसी भी आदमी को सजा दे सकती है, जो सरकार की ओर से जब्त या अमान्य चीजों का प्रकाशन या फिर वितरण करता है.

-विदेशी जमीन पर या समुद्री यात्रा के दौरान जहाज पर किए गए क्राइम के लिए आरपीसी में कोई धारा नहीं है. वहीं आईपीसी में धारा के तहत दंड दिया जाता है. वहीं, आरपीसी में रिश्वत लेने पर दंड का प्रावधान है.

-हत्या और गैंगरेप मामले में आईपीसी और आरपीसी में एक ही जैसी सजा का प्रावधान है. इन दोनों मामलों में उम्रकैद और फांसी का प्रावधान है. अगर जम्मू-कश्मीर से ऐसा कोई भी मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचता है तो आरपीसी के तहत ही सजा दी जाएगी.