जम्मू-कश्मीर: तो क्या पत्थरबाजों के खिलाफ केस वापसी का आदेश होगा रद्द!
जम्मू-कश्मीर में बीजेपी-पीडीपी गठबंधन के अलग हो जाने के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मची हुई है।
नई दिल्ली:
जम्मू-कश्मीर में बीजेपी-पीडीपी गठबंधन के अलग हो जाने के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मची हुई है। विपक्ष ने दावा किया है कि बीजेपी ने यह कदम देश में अपनी खोई हुई जमीन को 2017 के आम चुनावों से पहले वापस पाने के लिए किया है।
वहीं सुप्रीम कोर्ट के वकील और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता अजय अग्रवाल ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल नरेंद्र नाथ वोहरा पत्र लिखकर पीडीपी-बीजेपी सरकार के उस आदेश को रद्द करने की मांग की है जिसमें उन्होंने करीब 9 हजार पत्थरबाजों के खिलाफ केस वापस लिया था।
अग्रवाल ने अपने पत्र के समर्थन में तर्क देते हुए कहा कि यह फैसला पूरी तरह से एकतरफा लिया गया था। जम्मू-कश्मीर सरकार ने फैसला लेने से पहले पीड़ित व्यक्तियों, अर्धसैनिक बलों, सेना और अन्य पुलिस कर्मियों से कोई बात नहीं की।
अग्रवाल ने कहा,' कोई भी राज्य आरोपियों के खिलाफ मामले को तब तक वापस नहीं ले सकता जब तक कि उसमें पीड़ित पक्ष की सहमति न शामिल हो।'
उन्होंने देशहित में इस आदेश को रद्द करने की मांग की है।
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गौरतलब है कि इसी साल फरवरी के दौरान महबूबा सरकार ने पहली बार पत्थरबाजी में शामिल कश्मीरी युवाओं के खिलाफ केस वापस लेने का आदेश दिया था।
केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री गुलाम नबी लोन हंजुरा ने इस आदेश की पुष्टि करते हुए बताया था कि पिछले तीन साल के दौरान हुई 4066 एफआईआर हुई है जिसमें 14,208 लोग पत्थरबाजी में शामिल थे।
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