सुप्रीम कोर्ट में जम्मू-कश्मीर प्रशासन (Jammu-Kashmir) ने राज्य में 4G इंटरनेट बहाल करने की मांग का विरोध किया है. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा है कि हाई स्पीड इंटरनेट का इस्तेमाल आतंकी संगठनों द्वारा लोगों को उकसाने, आतंकी वारदातों को अंजाम देने में किया जा सकता है. मौजूदा 2जी सर्विस सभी जरूरी सुविधाओं, जानकारी हासिल करने के लिए पर्याप्त है. देश की सम्प्रभुता और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इंटरनेट की स्पीड को नियंत्रित रखने का फैसला लिया गया है.
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जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने कहा कि 1990 के बाद से जम्मू-कश्मीर में 71038 आतंकी वारदातों में 14038 आम नागरिकों और 5292 सुरक्षा बलों ने अपनी जान गंवाई है. इस दरम्यान 22536 आतंकी मारे गए. आपको बता दें कि 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 (Article-370) को निष्प्रभावी बनाने के बाद मोदी सरकार ने वहां पर इंटरनेट के उपयोग पर पाबंदी लगा दी थी. बाद में जम्मू-कश्मीर के गृह विभाग ने कश्मीर से इंटरनेट पर बैन हटाकर 2जी सर्विस बहाल की थी.
कश्मीर में अब सबके लिए बहाल की गईं ब्रॉडबैंड सेवाएं
आपको बदा कें कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने गत दिनों ब्रॉडबैंड सेवाएं आम लोगों के लिए भी बहाल की थी. पहले यह सेवा सरकारी दफ्तरों और कुछ महत्वपूर्ण कामों के लिए ही बहाल की गई थी. इससे पहले कश्मीर में 2जी सेवाएं और सोशल मीडिया को भी बहाल कर दिया गया था. हालांकि, प्री-पेड सिम कार्ड पर इंटरनेट सेवा अभी बहाल नहीं की गई है. 25 जनवरी को एक सप्ताह के लिए इंटरनेट सेवा बहाल की गई थी. इसके बाद समय-समय पर यह तारीख आगे बढ़ाई जा रही है.
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ऑर्टिकल 370 के निष्प्रभावी बनाने के बाद इंटरनेट पर लगी थी रोक
आपको बता दें कि पिछले साल पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर से ऑर्टिकल 370 को पूरी तरह से निष्प्रभावी बनाते हुए उसे दो केंद्र शासित राज्यों में बांट दिया था. इसके अलावा केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा इंटरनेट सर्विस, लैंडलाइन और मोबाइल फोन पर पिछले साल पांच अंगस्त को आर्टिकल 370 हटाने के ऐलान के बाद ही पाबंदी लगा दी गई थी. इस साल जनवरी महीने में पोस्ट पेड मोबाइल सर्विस से पाबंदी हटा ली गई. साथ ही अस्पताल आदि जरूरी जगहों पर कई फेज में इंटरनेट सर्विस बहाल की गई.