जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला ने कश्मीर समस्या के समाधान के मद्देनजर पाकिस्तान के साथ रिश्ते सुधारने के लिये मोदी सरकार को शुरु में बेहतर प्रयास करने का श्रेय देते हुये कहा कि इसके बदले में पाकिस्तान से उपयुक्त जवाब नहीं मिला. अब्दुल्ला ने गुरुवार को लोकमत मीडिया समूह द्वारा आयोजित सम्मेलन में कश्मीर समस्या के समाधान के बारे में पाकिस्तान की नकारात्मक भूमिका का जिक्र करते हुये कहा, 'हम अपने पड़ोसी नहीं बदल सकते हैं. हमें ध्यान रखना होगा कि ताली दोनों हाथ से बजती है.' अब्दुल्ला ने भारत के एक कदम बढ़ाने पर पाकिस्तान द्वारा दो कदम बढ़ाने के पाक प्रधानमंत्री इमरान खान के बयान को महज दिखावा बताते हुये कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुरु में पाकिस्तान से रिश्ते सुधारने के लिये काफी कोशिश की.
अब्दुल्ला ने कहा 'इसमें अपने शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को बुलाना और बिना पूर्व नियोजित कार्य्रकम के पाकिस्तान जाना शामिल है. लेकिन पाकिस्तान से इसका सही जवाब नहीं मिला. पाकिस्तान ने भरोसे की गुंजाइश नहीं रखी.'
उन्होंने कहा कि अब पाकिस्तान को भारत की चिंताओं का समाधान करते हुये आपसी विश्वास बहाली का माहौल बनाना चाहिये.
कश्मीर में विस्थापित पंडितों की वापसी के सवाल पर अब्दुल्ला ने कहा 'पंडितों की वापसी के बिना कश्मीर घाटी अधूरी है. हमने 2014 तक इसके लिये प्रयास किये लेकिन अब बीते कुछ सालों में हालात बिगड़े हैं. मैं विस्थापितों को वापसी के नाम पर शिविरों में रखने का हिमायती नहीं हूं.'
उन्होंने कहा कि ऐसा होने पर कोई विस्थापित लौटना नहीं चाहेगा. सही मायने में वापसी के लिये विश्वास का माहौल बनाना होगा जिससे वे यहां आकर अपना घर बसा कर हमेशा रह सकें. अब्दुल्ला ने मोदी सरकार से जम्मू कश्मीर में जल्द चुनाव कराने की मांग करते हुये कहा कि पांच राज्यों के चुनाव परिणाम भाजपा के पक्ष में नहीं आने से उन्हें आशंका है कि भाजपा राज्यपाल को चुनाव कराने की सिफारिश करने से रोक न दे.
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अगले साल आम चुनाव में महागठबंधन की संभावनाओं के सवाल पर अब्दुल्ला ने पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम का हवाला देते हुये कहा ‘‘देश में राजनीतिक हवा का रुख तेजी से बदल रहा है. चुनावी सफलता से जुड़े मोदी और अमित शाह के सभी हथकंडे नाकाम साबित हुये हैं क्योंकि देश की सियासी हवा अब उनके हक में नहीं है.'उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी दलों के बीच कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की स्वीकार्यता में इजाफा होने का जिक्र करते हुये कहा कि महागठबंधन क्षेत्रीय परिस्थितियों के आधार पर होगा.
अब्दुल्ला ने कहा कि कांग्रेस को इस हकीकत को स्वीकार करना होगा कि जिस राज्य में कांग्रेस मजबूत नहीं है वहां क्षेत्रीय दलों की उसे मदद कर खुद को एक कदम पीछे रखना होगा. वहीं क्षेत्रीय दलों को भी समझना होगा कि अब तक देश में कांग्रेस और भाजपा के बिना कोई सरकार नहीं बनी इसलिये कांग्रेस भाजपा के बिना तीसरे मोर्चे की दलील गलतफहमी है.
Source : PTI