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UP के बाद अब जम्मू पहुंची नाम बदलने की सियासत, इन जगहों के बदले नाम

6 सितंबर को सदन ने यह प्रस्ताव पारित किया था, लेकिन वह स्थगित हो गया था. इस बार इसे ध्वनि मत से पारित किया गया.

Updated on: 02 Mar 2020, 06:03 PM

नई दिल्‍ली:

जम्मू नगर निगम ने एक प्रस्ताव पारित कर जम्मू के मध्य स्थित ऐतिहासिक सिटी चौक का नाम बदलकर भारत माता चौक कर दिया है. जम्मू नगर निगम (Jammu Municipal Corporation) ने पिछले जम्मू शहरी स्थानीय निकायों के चुनाव में 75 में से 43 वार्ड जीते थे. जेएमसी की उप महापौर पूर्णिमा शर्मा ने मीडिया को बताया, "हर साल जब भी यहां स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर झंडारोहण होता है, तो लोग भारत माता की जय के नारे लगाते हैं. इससे लोगों के नाम बदलने की इच्छा का पता चलता है."

उन्होंने कहा कि, "6 सितंबर को सदन ने यह प्रस्ताव पारित किया था, लेकिन वह स्थगित हो गया था. इस बार इसे ध्वनि मत से पारित किया गया." इसी तरह सर्कुलर रोड चौक का नाम अटल चौक रखा गया है. शहर के केन्द्र में स्थित यह चौराहा जम्मू का प्रमुख वाणिज्यिक केन्द्र है. जम्मू नगर निगम ने नामों के बदलाव की घोषणा करने के लिए एक साइन बोर्ड लगाया है. बता दें कि यह भीड़-भाड़ वाला चौक हमेशा से राजनीतिक गतिविधियों का केन्द्र रहा है. अतीत में कई प्रमुख राजनेताओं ने इस चौक पर भाषण दिए हैं.

इसके अलावा यह जम्मू की उन प्रमुख जगहों में से भी एक है, जहां स्वतंत्रता और गणतंत्र दिवस पर तिरंगा फहराया जाता है. जम्मू: जम्मू नगर निगम द्वारा सिटी चौक और सर्कुलर रोड चौक का नाम क्रमशः भारत माता चौक और अटल जी चौक रखा गया है. 

हमारे देश में नाम बदलने की परंपरा काफी पुरानी
हमारे देश में नाम बदलने की काफी पुरानी परंपरा रही है, अगर हम अपने देश का इतिहास खंगाले तो बहुत से राज्यों, शहरों, सड़कों, संस्थानों के नाम कितनी बार ही बदले गए हैं. ताजा उदाहरण दिल्ली एनसीआर में हरियाणा राज्य के एक शहर गुड़गांव का नाम बदलकर गुरुग्राम करने का आपने देखा ही होगा इसी तरह उत्तर प्रदेश में सत्ता के परिवर्तन के साथ-साथ हमने नाम बदलने की परंपरा को हर एक सरकार में देखा है चाहे वो सपा की सरकार रही हो चाहे बसपा और फिर चाहे बीजेपी की सरकार रही हो.

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यूपी नाम बदलने की सियासत में सबसे आगे
योगी सरकार ने मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन कर दिया था. उसके बाद इलाहाबाद और फैजाबाद जैसे ऐतिहासिक शहरों के नाम भी बदल दिए गए. नाम बदलाव का सरकारी तर्क यही रहता है कि ऐसे शहरों को उनके प्राचीन नाम वापस दिलाये जा रहे हैं. नाम बदलने का एजेंडा यूपी में नया नहीं है और इलाहाबाद का नाम प्रयागराज किए जाने के बाद भी अभी कई और जिलों में नाम बदलने की कवायद जारी है.

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दो दशक में खूब बदले गए नाम
उत्तर प्रदेश में पिछले दो दशक में जिलों के नाम खूब बदले गये. खास बात यह कि बसपा सरकार में रखे गये जिलों के नाम समाजवादी पार्टी ने सत्ता में आते ही बदल दिए. इसको लेकर सपा−बसपा में खूब तीखी तकरार भी हुई थी, बताते चलें वर्ष 1992 में भाजपा गठबंधन की कल्याण सरकार ने इलाहाबाद का नाम प्रयागराज, अलीगढ़ का नाम हरिगढ़ व फैजाबाद का नाम साकेत करने की कोशिश की थी. लेकिन यह लागू नहीं हो पाया था जिसके बाद अब लगभग 25 सालों के बाद एक बार फिर उत्तर प्रदेश के इतिहास ने खुद को दोहराते हुए कई जिलों के नाम बदल दिए हैं.