महबूबा ने की भारत-पाक से अपील, जम्मू-कश्मीर के शांति के लिए बात करें दोनों देश
जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत को शुरू किए जाने की वकालत की है।
highlights
- जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत को शुरू किए जाने की वकालत की है
- महबूबा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों की बेहतरी के लिए दोनों मुल्कों में सुलह होना जरूरी है
नई दिल्ली:
जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत को शुरू किए जाने की वकालत की है।
अनंतनाग में एक कार्यक्रम के दौरान महबूबा ने पाकिस्तान और केंद्र सरकार से गुजारिश करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों की बेहतरी के लिए दोनों मुल्कों में सुलह होना जरूरी है।
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की दूसरी पुण्यतिथि के मौके पर एक सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, 'सरहद पार पाकिस्तान को भी मैं गुजारिश करती हूं, अपने मुल्क के वजीए-ए-आजम को भी गुजारिश करती हूं, जम्मू-कश्मीर के लोगों को इस दलदल से निकालने के लिए। हमारे जवानों की हिफाजत के लिए, आपस में सुलह करो, बातचीत करो, दोस्ती करो।'
और पढ़ें: चिदंबरम का मोदी सरकार की कश्मीर नीति पर हमला, पूछा- क्या कठोर सैन्य नीति से हुआ आतंक का खात्मा?
जम्मू-कश्मीर में पीडीपी (पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के गठबंधन की सरकार है। महबूबा इससे पहले भी दोनों देशों के बीच शांति और सुलह के लिए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजयेपी की नीति को आगे बढ़ाने की अपील कर चुकी है।
गौरतलब है कि पिछले कुछ सालों के दौरान जम्मू-कश्मीर में पुलिस और सेना को निशाना बनाकर किए जाने वाले आतंकी हमलों में तेजी आई है वहीं सीमा पार से होने वाले सीजफायर उल्लंघन के मामलों में भी तेजी आई है।
वहीं घाटी में हो रहे लगातार आतंकी हमलों को लेकर विपक्षी दल लगातार मोदी सरकार की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति पर सवाल उठा रहें हैं। पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने इसे लेकर सरकार पर निशाना साधा है।
चिदंबरम ने कहा कि 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता संभालने के बाद कश्मीर में आतंकी घटना में बढ़ोतरी हुई है और अधिक जवानों ने शहादत दी।
चिदंबरम ने गृह मंत्रालय के हवाले से बताया कि 2014 में 28 नागरिक, 110 आतंकवादी और 47 जवानों की मौत हुई।
2015 में 17 आम नागरिक, 108 आतंकवादी और 39 जवानों की मौत हुई। 2016 में 15 आम नागरिक, 150 आतंकी और 82 सुरक्षाबलों की मौत हुई वहीं 2017 में 57 आम नागरिक, 218 आतंकवादी और 83 सुरक्षाबलों की मौत हुई।
चिदंबर ने सरकार को जम्मू-कश्मीर समले का राजनीतिक हल निकालने की सलाह दी।
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