दिल्ली हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी के जामिया नगर में 2019 में हुई हिंसा के सिलसिले में देशद्रोह के एक मामले में जेएनयू के छात्र शरजील इमाम की जमानत याचिका पर बुधवार को नोटिस जारी किया।
न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ ने अभियोजन पक्ष को नोटिस जारी कर जमानत याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा। कोर्ट इस मामले में आगे की सुनवाई 11 फरवरी 2022 को करेगी।
उनके वकील अहमद इब्राहिम ने निचली अदालत के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी गई थी। मामला पीएस क्राइम ब्रांच, न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में दर्ज एफआईआर 242 से संबंधित है।
22 अक्टूबर को यहां की एक अदालत ने उनकी याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था। याचिका को खारिज करते हुए, साकेत कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अनुज अग्रवाल ने कहा था कि भड़काऊ भाषण के कारण शांति और सद्भाव पर दुर्बल प्रभाव पड़ता है।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक, 15 दिसंबर 2019 को पूर्वाह्न् करीब 11.15 बजे जामिया नगर के छात्रों और निवासियों द्वारा नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) के खिलाफ प्रदर्शन की सूचना संबंधित थाने में प्राप्त हुई। बताया गया कि छात्र संसद की ओर मार्च करेंगे।
एफआईआर में कहा गया है, दोपहर करीब 2.20 बजे सराय जुलेना चौक स्थित एस्कॉर्ट अस्पताल के पास लाठियों से लैस करीब 2500 लोगों की एक बड़ी भीड़ जमा हो गई। दोपहर लगभग 3.22 बजे, चेतावनी के बावजूद, लगभग 3,000 से 3,500 लोगों की भीड़ सराय जुलेना गांव और सुजान महिंद्रा रोड की ओर बढ़ने लगी। जब भीड़ ने संसद की ओर मार्च करने के लिए सूर्या होटल में पुलिस द्वारा लगाए गए बैरिकेड्स को पार करने की कोशिश की, तो उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया गया।
नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन के हिंसक हो जाने के बाद, 15 दिसंबर, 2019 को शहर के भरत नगर इलाके में कम से कम तीन डीटीसी बसों में आग लगा दी गई थी।
जेएनयू स्कॉलर और सामाजिक कार्यकर्ता शरजील इमाम के खिलाफ 13 दिसंबर, 2019 को जामिया मिलिया इस्लामिया में और 16 दिसंबर, 2019 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण दिए जाने के बाद विभिन्न मामले दर्ज किए गए हैं। वह जनवरी 2020 से न्यायिक हिरासत में है।
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Source : IANS