logo-image

जामिया हिंसाः हाईकोर्ट ने छात्रों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई पर रोक की मांग ठुकराई, केंद्र और दिल्ली पुलिस को नोटिस

जामिया हिंसा मामले में गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने इस मामले में गृहमंत्रालय और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर उनसे हलफनामा दाखिल करने को कहा है. वहीं छात्रों की गिरफ्तारी पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है.

Updated on: 19 Dec 2019, 04:10 PM

नई दिल्ली:

जामिया हिंसा मामले में गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने इस मामले में गृहमंत्रालय और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर उनसे हलफनामा दाखिल करने को कहा है. वहीं छात्रों की गिरफ्तारी पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है. इस मामले में अगली सुनवाई 4 फरवरी को की जाएगी.

सीनियर एडवोकेट कॉलिन गोंजाल्विस ने हिरासत में लिये गए छात्रो की रिहाई का मसला चीफ जस्टिस के सामने रखा. कॉलिन गोंजाल्विस ने कहा कि पुलिस ने बिना इज़ाजत कैंपस में एंट्री की. एम्स की रिपोर्ट के मुताबिक एक छात्र की आंख की रोशनी चली गई. एक को गोली लगी है, हालांकि पुलिस इससे इंकार कर रही है. उन्होंने कहा कि इस मामले की सुप्रीम कोर्ट/ हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में एसआईटी जांच होनी चाहिए. पुलिस की कैंपस में एंट्री रोकी जानी चाहिए. छात्रों की ओर से एडवोकेट विनय गर्ग ने मांग की कि पुलिस को छात्रों पर कोई भी कार्रवाई करने से रोका जाए.

यह भी पढ़ेंः लखनऊः CAA और NRC के विरोध में प्रदर्शनकारी उग्र, पुलिस चौकी में तोड़फोड़

याचिकाकर्ता ने कहा कि पुलिस बताए कि ऐसी कौन सी आपातकाल की स्थिति आ गई थी पुलिस को ये कार्रवाई करनी पड़ी. पुलिस ने कार्रवाई में आंसू गैस के गोले का इस्तेमाल किया. जामिया के प्रॉक्टर ने कभी पुलिस को कैंपस में घुसने की इजाजत नहीं दी. सजंय हेगड़े ने कहा कि पुलिस ने मस्जिद और लाइब्रेरी के अंदर एंट्री की. भला हॉस्टल या टॉयलेट में क्या दिक्कत आन पड़ी थी, जो पुलिस को वहां एंट्री करनी पड़ी. याचिकाकर्ता की तरफ से संजय हेगड़े ने कहा कि इस मामले में स्वतंत्र जांच की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि इस मामले में एक जांच कमिटी के गठन किया जाना चाहिए. याचिकाकर्ता की तरफ से वकील इंद्रा जय सिंह ने कहा कि लोकतंत्र में अपनी बात को रखने का सभी को संवैधानिक अधिकार है. इस मामले में न्यायिक दखल की ज़रूरत है. अगर कोई गिरफ्तारी हो तो यूनिवर्सिटी प्रशासन को सूचित किया जाना चाहिए. इंदिरा जय सिंह ने कहा कि सिविल सोसाइटी के प्रेशर की वजह से पुलिस ने हिरासत में लिए गए छात्रों को छोड़ा. केवल यही नही पुलिस के द्वारा इस्तेमाल किया गया शब्द भी ऐसे थे कि हम बता नही सकते. इंदिरा जय सिंह ने कहा कि इस मामले में जांच के लिए जो कमीशन बने, उसमें कोई पुलिसकर्मी शामिल नहीं होना चाहिए.

यह भी पढ़ेंः यूपी- संभल में CAA का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों ने फूंकी बस

अदालत में लगे शेम शेम के नारे
जब कोर्ट ने छात्रों के खिलाफ़ गिरफ्तारी /पुलिस एक्शन पर रोक लगाने से इंकार कर दिया तो चीफ जस्टिस DN पटेल की कोर्ट में ही कुछ वकीलों ने " shame! shame! के नारे लगाए. चीफ जस्टिस बिना कोई रिएक्शन दिये उठकर अपने चैम्बर में चले गए.