जामिया मिलिया इस्लामिया (जेएमआई) ने मंगलवार को अपने पूर्व छात्र दानिश सिद्दीकी के लिए एक शोक सभा का आयोजन किया। इसी माह 16 जुलाई, 2021 को अफगान सुरक्षा बलों और तालिबान के बीच चल रहे संघर्ष को कवर करते समय दानिश सिद्दीकी की मौत हो गई थी। दानिश एक अंतराष्ट्रीय न्यूज एजेंसी में फोटो जर्नलिस्ट थे।
जामिया मिल्लिया इस्लामिया की कुलपति प्रोफेसर नजमा अख्तर भी इस श्रद्धांजलि सभा में शामिल हुईं। यह सभा जामिया के डॉ एमए अंसारी सभागार में आयोजित की गई, इसमें शिक्षकों, गैर-शिक्षण कर्मचारियों, छात्रों ने भाग लिया था।
दानिश को वास्तविक जीवन का नायक और प्रतिष्ठित तस्वीरों का निर्माता बताते हुए, कुलपति ने कहा कि हमें उन्हें हमेशा मुस्कान के साथ याद रखना चाहिए क्योंकि शहीदों पर कभी आंसू नहीं बहाना चाहिए।
उन्होंने कहा, हम उनके काम और अन्य गतिविधियों की प्रदर्शनी का आयोजन करेंगे ताकि छात्र इससे प्रेरणा ले सकें।
प्रो. शोहिनी घोष, कार्यवाहक निदेशक, एजेकेएमसीआरसी, जेएमआई ने कहा कि एमसीआरसी के पूर्व छात्रों, जिनमें कई लोग उनसे कभी नहीं मिले थे, उन्होंने अपना दुख, एकजुटता और रिश्ते की तीव्र भावना लिखित रूप में व्यक्त की है। शायद इसलिए कि उन्होंने दानिश में साहस, जुनून और नैतिक ताने-बाने को देखा जो एमसीआरसी के संस्थापक अपने छात्रों में चाहते थे।
प्रो. दानिश इकबाल, एमसीआरसी ने कहा, जब कोई पत्रकार युद्ध के मोर्चे से रिपोर्ट करता है, तो वह न केवल रिपोटिर्ंग करता है बल्कि युद्ध की व्यर्थता और भयावहता को बताकर शांति का मार्ग प्रशस्त करता है। इस प्रकार दानिश सिद्दीकी की शहादत हमें शांति और अहिंसा के महत्व से अवगत कराती है।
उन्होंने साहिर लुधियानवी को उद्धृत किया,
इसलिए ऐ शरीफ इंसानों
जंग टलती रहे तो बेहतर है
आपके और हमारे आंगन में
शम्मा जलती रहे तो बेहतर है
सोनाली शर्मा, सहायक प्रोफेसर, एमसीआरसी और दानिश सिद्दीकी के एक बैच-मेट ने केंद्र में अपने समय के बारे में बात की और एक युवा छात्र के रूप में फोटो जर्नलिस्ट की अंतर्²ष्टि के बारे में दिलचस्प जानकारी प्रदान की।
बैठक के दौरान दानिश सिद्दीकी को श्रद्धांजलि देने के लिए सोनाली शर्मा और इमरान आलम, सहायक प्रोफेसर, एमसीआरसी द्वारा बनाई गई दो लघु फिल्मों का प्रदर्शन किया गया।
शर्मा की फिल्म कई देशों में दानिश के बैच के साथियों द्वारा भेजी गई तस्वीरों से बनाई गई थी, जबकि आलम की फिल्म दानिश द्वारा ली गई तस्वीरों के लिए एक गीतात्मक श्रद्धांजलि थी। दानिश को श्रद्धांजलि देने के लिए दो मिनट का मौन भी रखा गया।
बैठक का समापन जामिया के कुलसचिव डॉ. नाजिम हुसैन अल-जाफरी द्वारा दानिश सिद्दीकी की समृद्ध विरासत को संरक्षित करने के महत्व के बारे में टिप्पणी के साथ हुआ।
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Source : IANS