जामिया में भूगोल एवं पर्यावरण अध्ययन पर रिफ्रेशर कोर्स शुरू
जामिया में भूगोल एवं पर्यावरण अध्ययन पर रिफ्रेशर कोर्स शुरू
नई दिल्ली:
जामिया मिलिया इस्लामिया में भूगोल एवं पर्यावरण अध्ययन पर एक खास रिफ्रेशर कोर्स शुरू किया गया है। खास बात यह है कि पूरे भारत के विभिन्न विश्वविद्यालयों की इसमें अहम भागीदारी है। देश के अनेक विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के 40 युवा संकाय सदस्यों को इस दौरान अंतर्राष्ट्रीय स्तर का प्रशिक्षण मिल सकेगा। कोरोना के मद्देनजर यह पाठ्यक्रम ऑनलाइन शुरू किया जा रहा है।यूजीसी-मानव संसाधन विकास केंद्र, जामिया मिलिया इस्लामिया और विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग ने संयुक्त रूप से पूरे भारत से विभिन्न विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के युवा संकाय सदस्यों के कौशल संवर्धन के लिए भूगोल एवं पर्यावरण अध्ययन पर पाठ्यक्रम शुरू किया।
आईसीएसएसआर सदस्य सचिव प्रोफेसर वी.के. मल्होत्रा ने इस महत्वपूर्ण पुनश्चर्या कार्यक्रम के लिए आयोजकों को बधाई दी। वह सतत विकास और पर्यावरण प्रबंधन नामक विषय से भी प्रभावित हुए।
इस दौरान शिक्षाविदों से सतत विकास, पर्यावरण प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन नियन्त्रण, समावेशी विकास संबंधित उभरते मुद्दों पर काम करने और कोविड-19 महामारी के बाद एक लचीले समाज का पैथवे तैयार का आह्वान किया। ग्रीन एनर्जी और सोलर एलायंस के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गतिशील नेतृत्व में भारत सरकार के प्रभावशाली रिकॉर्ड को रेखांकित किया गया।
गौरतलब है कि जामिया नवाचार और अंतर्राष्ट्रीय रिसर्च में लगातार नए रिकॉर्ड बना रहा है। हाल ही में जामिया और जॉर्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी, यूएसए के शोधकर्ताओं द्वारा लीवर कैंसर के थेरप्युटिक मैनेजमेंट के लिए पोटेंशिअल ड्रग टारगेट की खोज की गई है। यह फैटी लीवर रोग- और लीवर कैंसर के थेरप्युटिक मैनेजमेंट के लिए पोटेंशिअल ड्रग टारगेट के रूप में स्पेक्ट्रिन प्रोटीन की खोज है।
सेंटर फॉर इंटरडिसिप्लिनरी रिसर्च इन बेसिक साइंसेज, जामिया मिलिया इस्लामिया (जेएमआई) और जॉर्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी, यूएसए के वैज्ञानिकों ने संयुक्त रूप यह शोध किया है। यह एक गैर-अल्कोहल स्टीटोहेपेटाइटिस, गैर-अल्कोहल फैटी लीवर रोग- और लीवर कैंसर के थेरप्युटिक मैनेजमेंट के लिए पोटेंशिअल ड्रग टारगेट के रूप में स्पेक्ट्रिन प्रोटीन की खोज की है। यह शोध गैर-मादक फैटी लीवर रोग और लीवर कैंसर के मामलों को नियंत्रित करने में सहायता करेगा जो तेजी से बढ़ रहे हैं।
शोध दल प्रोफेसर लोपा मिश्रा, एक प्रसिद्ध गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट और निदेशक, सेंटर फॉर ट्रांसलेशनल मेडिसिन, सर्जरी विभाग, जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय, यूएसए, जामिया के डॉ. मो. इम्तियाज हसन और उनके पीएचडी स्कॉलर ताज मोहम्मद और अन्य शोधकर्ताओं के निष्कर्ष को अमेरिकन एसोसिएशन फॉर द एडवांसमेंट ऑफ साइंस (एएएएस) द्वारा प्रकाशित साइंस की एक अत्यधिक प्रतिष्ठित पत्रिका, साइंस ट्रांसलेशनल मेडिसिन (17.956 का प्रभाव कारक) में प्रकाशित किया गया है। एएएएस दुनिया के सबसे पुराने और सबसे बड़े सामान्य विज्ञान संगठनों में से एक है।
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