मैराथन धावक फौजा सिंह का निधन, राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने जताया शोक
एयर इंडिया विमान हादसा : जांच रिपोर्ट लीक होने पर प्रियंका चतुर्वेदी ने मंत्री को लिखा पत्र
बालासोर : ओडिशा सरकार ने आंतरिक शिकायत समितियों के कामकाज की स्थिति पर मांगी रिपोर्ट
बंगाल में बदली भाजपा की रणनीति, अंतरिक्ष से वापसी की ओर शुभांशु, जानें दस बड़े अपडेट
आपातकाल का काला अध्‍याय जनता के सामने तथ्‍यों के साथ लाना जरूरी : हर्ष मल्होत्रा
Jalandhar News: लड़ाई सुलझाने के चक्कर में खूनी संघर्ष, युवक की तेजधार हथियार से ली जान, दो गंभीर
Sawan Ka Pehla Somwar 2025: उज्जैन में भगवान महाकाल के दर्शन को उमड़ी भारी भड़ी
Uttarakhand: सीएम धामी ने की पीएम मोदी से मुलाकात, 3500 करोड रुपए की मांगी वित्तीय सहायता
लोकसभा के डिजिटल परिवर्तन और नवाचार पहल पर हुई चर्चा

'जल्लीकट्टू' का भविष्य अब संवैधानिक पीठ तय करेगी- सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को तमिलनाडु के विभिन्न स्थानों पर होने वाले पारंपरिक खेल जल्लीकट्टू, कंबाला और मांजाविरट्टू से जुड़े मामलों पर सुनवाई के लिए संवैधानिक पीठ को सौंप दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को तमिलनाडु के विभिन्न स्थानों पर होने वाले पारंपरिक खेल जल्लीकट्टू, कंबाला और मांजाविरट्टू से जुड़े मामलों पर सुनवाई के लिए संवैधानिक पीठ को सौंप दिया है।

author-image
vineet kumar1
एडिट
New Update
'जल्लीकट्टू'  का भविष्य अब संवैधानिक पीठ तय करेगी- सुप्रीम कोर्ट

'जल्लीकट्टू' का भविष्य अब संवैधानिक पीठ तय करेगी SC

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को तमिलनाडु के विभिन्न स्थानों पर होने वाले पारंपरिक खेल जल्लीकट्टू, कंबाला और मांजाविरट्टू से जुड़े मामलों पर सुनवाई के लिए संवैधानिक पीठ को सौंप दिया है।

Advertisment

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में मवेशियों पर आधारित इन पारंपरिक खेलों को अनुमति देने वाली तमिलनाडु और महाराष्ट्र सरकार के क़ानूनों को चुनौती दी गई है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब संवैधानिक पीठ तय करेगी कि इन तीनों खेलों को 'कल्चरल राइट्स' के तहत जारी रखने दिया जा सकता है या नहीं।

दोनो राज्यो ने केंद्र के पशुओं के प्रति क्रूरता की रोकथाम कानून 1960 में संशोधन कर जल्लीकट्टू, कंबाला और मांजाविरट्टू को अनुमति दी थी। जिसके बाद इन कानूनों की वैधानिकता को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई है।

यह भी पढ़ें: केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, हर बाल यौन उत्पीड़न का जवाब 'मौत की सजा नहीं'

अब संविधान बेंच को विचार करना है कि क्या राज्य इस तरह के कानून बना सकते है और क्या यह परम्परा संविधान में सांस्कृतिक अधिकारों के दायरे में आते है।

आपको बता दें कि फसल कटाई के मौके पर तमिलनाडु में चार दिन का पोंगल उत्सव मनाया जाता है जिसमें तीसरा दिन मवेशियों के लिए होता है।

जल्लीकट्टू को तमिलनाडु के गौरव तथा संस्कृति का प्रतीक माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार यह खेल की परंपरा 2500 साल पुरानी है।

पोंगल उत्सव के दौरान होने वाले इस खेल में परंपरा के अनुसार शुरुआत में तीन बैलों को भड़काकर छोड़ा जाता है। इससे पहले उनकी सींगों पर सिक्कों की थैली बांधी जाती है।

इस खेल में बैलों पर काबू पाने वाले लोगों को इनाम भी दिया जाता है। इस खेल के लिए बैल को खूंटे से बांधकर उसे उकसाने की प्रैक्टिस करवाई जाती है।

हालांकि इस खेल को जानवरों के साथ ज्यादती मानते हुए इसके खिलाफ कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई हैं।

यह खेल सांस्कृतिक अधिकार है या नहीं इस पर अब सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच सुनवाई करेगी।

यह भी पढ़ें: IND vs SA : विराट कोहली ने लगाया 33वां वनडे शतक, बनाए कई रिकॉर्ड, पीछे रह गए सचिन- द्रविड़

Source : News Nation Bureau

Supreme Court Jallikattu constitution bench Kambala
      
Advertisment