तमिलनाडु सरकार ने केंद्र से अपील की है कि इस साल राज्य में जल्लीकट्टू से संबंधित कानूनी बाधाएं दूर करे। साथ ही एक अध्यादेश लाने पर भी विचार करे।
जानकारी के मुताबिक, इस संबंध में मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि राज्य में जल्लीकट्टू को लेकर लोगों को भावनाएं जुड़ी हुई हैं। इसके समर्थन को ध्यान में रखा जाए और इस मामले में भारत सरकार जल्दी फैसला ले। गौरतलब है कि तमिलनाडु में अगले हफ्ते पोंगल का त्योहार शुरू होने वाला है, जिसका जल्लीकट्टू अभिन्न हिस्सा है।
सीएम ने कहा कि दिवंगत जे जयललिता ने पीएम मोदी के सामने एक मांग रखी थी। इसमें कहा था कि केंद्रीय पर्यावरण एंव वन मंत्रालय को साल 2011 की मंत्रालय की अधिसूचना में बैलों के करतब दिखाने वाले पशुओं की सूची से अधिसूचना लाकर बाहर कर देना चाहिए। उनकी दूसरी मांग यह थी कि एक नया प्रावधान लाकर पशुओं के प्रति क्रूरता के रोकथाम कानून में संशोधन किया जाए, जो खासतौर पर जल्लीकट्टू की छूट देता हो।
मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम ने कहा कि इन सुझावों पर अभी तक भारत सरकार की ओर से कदम नहीं उठाया गया है। नवंबर में उच्चतम न्यायालय ने राज्य सरकार की वह याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें न्यायालय के साल 2014 के फैसले की समीक्षा का अनुरोध किया गया था।
साल 2014 के फैसले में न्यायालय ने राज्य में जल्लीकट्टू आयोजनों में बैलों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद से ही द्रमुक समेत कई राजनीतिक दल केंद्र और राज्य सरकार पर दबाव बना रहे हैं। चेन्नई समेत कई राज्यों में इस खेल के आयोजन को लेकर विरोध-प्रदर्शन होता रहा है।
क्या है जल्लीकट्टू
जल्लीकट्टू तमिलनाडु का 400 साल से भी ज्यादा पुराना पारंपरिक खेल है। यह खेल फसलों की कटाई के अवसर पर पोंगल के समय आयोजित किया जाता है। इसमें 300-500 किलो के सांड की सींग पर नोट फंसाकर भीड़ में छोड़ दिया जाता है। इसके बाद कुछ लोग अपना बचाव करते हैं और कुछ लोग सांड की सींग पकड़कर उन्हें काबू में करते हैं। खबरों के मुताबिक, सांड को तेज दौड़ाने के लिए उनकी पूंछ मरोड़ी जाती है और शराब पिलाने से लेकर आंख में मिर्ची तक डाली जाती है। सुप्रीम कोर्ट ने जानवरों के साथ हिंसक बर्ताव को देखते हुए साल 2014 में इस खेल को बैन कर दिया था।
HIGHLIGHTS
- 400 साल से भी ज्यादा पुराना है जल्लीकट्टू खेल
- साल 2014 में जानवरों के प्रति हिंसा देख सुप्रीम कोर्ट ने किया था बैन
Source : News Nation Bureau