ब्रिटिश उच्चायुक्त ने जलियांवाला बाग कांड को बताया इतिहास की शर्मनाक घटना
भारत में ब्रिटिश उच्चायुक्त सर डोमिनिक एस्किथ ने शनिवार की सुबह जलियांवाला बाग स्मारक पहुंचकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी. इस दौरान उन्होंने विजिटर डायरी में लिखे अपने नोट में जलियांवाला बाग की घटना को ब्रिटिश-भारत इतिहास की सबसे शर्मनाक घटना करार दिया.
नई दिल्ली:
शनिवार को देश ने जालियांवाला बाग की 100वीं बरसी पर शहीदों को याद किया. साल 1919 में अमृतसर में हुए इस नर संहार में हजारों लोगों की जान गई थी, लेकिन ब्रिटिश सरकार ने अपने आंकड़ों में महज 379 लोगों की हत्या दर्ज की थी. ब्रिटिश सरकार ने इस नरसंहार पर अब तक माफी नहीं मांगी. हालांकि ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने इस घटना पर खेद प्रकट किया था. वहीं भारत में ब्रिटिश उच्चायुक्त सर डोमिनिक एस्किथ ने शनिवार की सुबह जलियांवाला बाग स्मारक पहुंचकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी. इस दौरान उन्होंने विजिटर डायरी में लिखे अपने नोट में जलियांवाला बाग की घटना को ब्रिटिश-भारत इतिहास की सबसे शर्मनाक घटना करार दिया. शनिवार को नरसंहार की 100वीं बरसी पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी. वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू सहित तमाम दिग्गजों ने मेमोरियल पहुंचकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविदं ने जलियावाला की फोटो को सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए लिखा है कि,'सौ साल पहले हमारे प्रिय स्वतंत्रता सेना जलियावाला बाग में शहीद हुए थे. उस सभ्यता पर कलंकस्वरूप उस भयानक नरसंहार को भारत कभी भुला नहीं सकता. इस मौके पर हम जलियांवाला के अमर शहीदों को श्रद्धांजलि देते हैं.' वहीं पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा, 'जलियांवाला बाग के भयानक नरसंहार के शहीदों को हम श्रद्धांजलि देते हैं. उनकी वीरता और बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता. आज, जब हम भयावहर जलियांवाला बाग नरसंहार के सौ सालों को देखते हैं तो शहीदों की स्मृति हमें भारत के निर्माण के लिए और भी अधिक मेहनत करने के लिए प्रेरित करती है, जिस पर उन्हें गर्व होगा.'
पंजाब सरकार की मांग माफी मांगे ब्रिटेन सरकार
पंजाब सरकार ने जलियावाला बाग नरसंहार के 100वें वर्ष में प्रवेश करने पर फरवरी में ही विधानसभा में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित करवाया था, इसके मुताबिक दुनिया के सबसे बड़े नरसंहारों में से एक जलियावाला बाग कांड के लिए ब्रिटिश सरकार से माफी की मांग करने के लिए कहा गया. इस नरसंहार में हजारों लोग मारे गए थे. प्रस्ताव के अनुसार, 13 अप्रैल 1919 को बैसाखी के दिन हुए नरसंहार के लिए माफी शहीदों के लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी.
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