केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को कहा कि सरकार कुछ निश्चित समाधानों के साथ चुनावी निधि में पारदर्शिता के लिए आगे आई है, लेकिन यदि विपक्ष हर सुधार में गलतियां ही खोजता रहेगा तो 'फिर इससे हम किसी लक्ष्य तक नहीं पहुंच सकेंगे।'
लोकसभा में साल 2017-18 के बजट पर चर्चा का जवाब देते हुए जेटली ने कहा कि बजट में प्रस्तावित कुछ चुनावी सुधारों, जैसे नकद में चंदे की राशि की अधिकतम सीमा को 2000 रुपये करना, का प्रस्ताव निर्वाचन आयोग ने दिया था और सरकार ने इसे स्वीकार किया।
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केंद्रीय बजट 2017-18 में सरकार ने राजनीतिक दलों द्वारा नकद में चंदे की सीमा की अधिकतम सीमा 2000 रुपये तय की है। इससे अधिक की राशि के प्रस्तावित चुनावी बांडों को बैंकों से खरीदा जा सकता है।
एक राजनीतिक पार्टी को अब 2000 रुपये से कम का ही दान देने वाले की पहचान उजागर नहीं करनी होगी। पहले यह सीमा 20,000 रुपये थी। विपक्षी दलों ने सरकार के दोनों प्रस्तावों की आलोचना की। उन्होंने कहा कि इसमें कोई विशेषता नहीं है।
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जेटली ने कहा, 'यदि हम हर समाधान में गलतियां निकालना जारी रखेंगे तो यथास्थिति बनी रहेगी, जो वास्तव में एक आदर्श स्थिति नहीं होगी।' उन्होंने कहा कि चुनावी बांड की अवधारणा दाता की पहचान को छुपाने, लेकिन धन को पारदर्शी और कर योग्य बनाने के लिए की गई है।
जेटली ने कहा, 'बहुत से लोग राजनीतिक दलों को दान देते हैं, लेकिन प्रतिद्वंद्वी दलों की वजह से वह अपनी पहचान का आमतौर से खुलासा करना पसंद नहीं करते। चुनावी बांड की खरीदारी से वह अपनी पहचान गुप्त रख सकेंगे, लेकिन रुपया रिकार्ड में आ जाएगा ।'
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वित्त मंत्री ने कहा, 'यह हमारी सोच है। यदि आपके पास कोई सुझाव है तो आपका स्वागत है। लेकिन हर समाधान के लिए एक समस्या का सुझाव मत दें।'
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Source : IANS