विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शनिवार को कतर के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुल रहमान बिन जसीम अल-थानी से बातचीत की और अफगानिस्तान से जुड़े मुद्दों पर विचार-विमर्श किया।
जयशंकर ने शनिवार को कुवैत और कतर के अपने समकक्षों के साथ अलग-अलग वार्ता कर अफगानिस्तान समेत कई मुद्दों पर चर्चा की।
जयशंकर ने एक ट्वीट में कहा कि कुवैत के विदेश मंत्री अहमद नासिर मोहम्मद अल-सबा के साथ से बात करना और द्विपक्षीय संबंधों की प्रगति की समीक्षा करना अच्छा रहा।
उन्होंने कहा, संयुक्त आयोग की शीघ्र बैठक करने पर सहमति बनी। हमने पश्चिम एशिया एवं खाड़ी क्षेत्र से लेकर अफगानिस्तान और हिंद-प्रशांत क्षेत्र तक की क्षेत्रीय स्थिति पर भी चर्चा की।
जयशंकर ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि कतर के विदेश मंत्री मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल-थानी के साथ अच्छी बातचीत हुई और उस दौरान अफगानिस्तान से संबंधित घटनाक्रम पर विचारों का आदान-प्रदान हुआ।
जयशंकर ने कहा, अपने द्विपक्षीय, आर्थिक एवं ऊर्जा सहयोग पर भी हमने चर्चा की। मैं संयुक्त आयोग की बैठक को लेकर आशान्वित हूं।
उच्च स्तरीय द्विपक्षीय यात्राओं का नियमित आदान-प्रदान होता रहा है। कतर के अमीर हिज हाइनेस शेख तमीम बिन हमद अल थानी ने मार्च 2015 में भारत की राजकीय यात्रा की थी।
इससे पहले, तत्कालीन अमीर हिज हाइनेस शेख हमद बिन खलीफा अल-थानी (अब फादर अमीर) ने 1999, 2005 और 2012 में भारत का दौरा किया था। तब कतर के पीएम शेख अब्दुल्ला बिन नासिर अल थानी ने दिसंबर 2016 में भारत का दौरा किया था।
2020-21 में कतर के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार 9.21 अरब डॉलर का था।
2020-21 के दौरान कतर को भारत का निर्यात 1.28 बिलियन डॉलर और कतर से भारत का आयात 7.93 बिलियन डॉलर था।
कतर फाइनेंशियल सेंटर (क्यूएफसी) के एक बयान के मुताबिक, भारतीय कंपनियों ने कतर में करीब 45 करोड़ डॉलर का निवेश किया है।
कई क्षेत्रों की भारतीय कंपनियां कतर में कई वर्षों से मौजूद हैं और उनमें लार्सन एंड टुब्रो, वोल्टास, शापूरजी पलोनजी, विप्रो, टीसीएस और टेक महिंद्रा शामिल हैं।
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Source : IANS