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कुलभूषण जाधव पर भारत का कड़ा रुख, पाक नागरिकों के वीज़ा पर लगा सकती है रोक

पाकिस्तान से भारत आने वाले नागरिकों खासकर विशिष्ट नागरिकों को वीसा देने में कड़ाई कर सकता है।

Updated on: 14 Apr 2017, 03:00 PM

नई दिल्ली:

कुलभूषण जाधव के मसले पर भारत पाकिस्तान को कड़ा संदेश देने की तरफ बढ़ रहा है। पाकिस्तान से भारत आने वाले नागरिकों खासकर विशिष्ट नागरिकों को वीसा देने में कड़ाई कर सकता है।

एक अग्रेज़ी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के अनुसार, विदेश मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि भारत पाकिस्तान को ऐसा संदेश देना चाहता है जिसका उस पर असर हो। इन नागरिकों में कलाकार, गायक, ऐक्टर्स आदि शामिल हैं।

भारत का मानना है कि कुलभूषण जाधव निर्दोष है और पाकिस्तान की मिलिटरी कोर्ट ने जो सज़ा सुनाई है वो गलत है। इस मसले पर भारत की तरफ से पाकिस्तान के खिलाफ ये पहली कार्रवाई होगी।

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हालांकि योजना सभी पाकिस्तानी नागरिकों के वीसा पर प्रतिबंध लगाने की था लेकिन ये फैसला किया गया कि पहले विशिष्ट नागरिकों पर प्रतिबंध लगाकर देखा जाए कि पाकिस्तान पर क्या असर पड़ता है।

भारत ने अभी तक पाकिस्तान स्थित भारतीय उच्चायोग को किसी भी तरह का निर्देश नहीं दिया है, लेकिन ये ज़रूर है वीसा जारी करने की प्रक्रिया को धीमी कर दी जाए।

अधिकारी ने बताया कि भारत की योजना है पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने की थी। लेकिन इसको लागू करना मुश्किल होगा। क्योंकि मानवाधिकार के तहत, मरीज़ों और छात्रों रक रोक लगाना छीक नहीं होगा।

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उन्होंने बताय़ा कि इस मुद्दे पर पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिये भारत तमाम विकल्पों और पहलुओं पर विचार कर रहा है। जिसमें राजनयिक और गैर राजनयिक विकल्प भी शामिल हैं। सूत्र ने कहा, 'हम कड़े और नरम दोनों रुख पर विचार कर रहे हैं।'

भारत जाधव के मसले पर राजनयिक और कानूनी विकल्पों दोनों पर विचार कर रहा है। ताकि पाकिस्तान पर दबाव बनाया जा सके। 

हालांकि पाकिस्तान ने जाधव के मसले पर कड़ा रुख़ अख्तियार किये हुए है। पाक सेना के चीफ क़मर जावेद बाजवा ने कहा है, 'पाकिस्तान के खिलाफ काम करने वालों पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।'

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दोनों देशों के बीच डिप्लोमेटिक वीसा को लेकर अब भी तनाव बना हुआ है। राजनयिकों को लेकर पिछले साल खड़े हुए विवाद के बाद से दोनों के बीच 10 राजनयिक वीसा अब भी लंबित हैं।

अधिकारी ने बताया, 'जाधव की फांसी की सज़ा होती है तो स्थिति और खराब होगी। दोनों देशों के राजनयिक मिशन को कम स्टाफ के साथ काम चलाना होगा।'

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