मध्य प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर में निजी अस्पताल के अग्निकांड में आठ लोगों की जान चली गई, यह कोई पहला हादसा नहीं है इससे पहले भी राज्य के कई इलाकों के अस्पतालों में अग्निकांड हुए और लोगों की जानें गई हैं। सवाल उठ रहा है कि आखिर कब सबक लेंगे या फिर हादसों के बाद सिर्फ जांच और दोषियों की सजा की घोषणा पर आकर ठहर जाएंगे।
जबलपुर में सोमवार का दिन कई परिवारों के लिए बुरी खबर लेकर आया, न्यू लाइफ मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल में मरीज आए तो इलाज के लिए थे, मगर उनकी जान पर ही बन आई। यहां लगी आग में कुल आठ लोगों की जान गई, जिसमें मरीज उनके अटेंडर और अस्पताल के कर्मचारी शामिल हैं।
इस हादसे के बाद कई खामियां सामने आ रहे हैं और आग पर काबू पाने वाले इंतजाम दुरुस्त न होने की बात कही जा रही है। सवाल उठ रहे हैं कि आखिर अस्पताल संचालन के लिए जो जरूरी मंजूरियां होती है वह सिर्फ कागज पर दे दी गई या मौका मुआयना करने के बाद दी गई। वैसे स्वास्थ्य विभाग ने जांच का ऐलान कर दिया है और एक माह बाद इसकी रिपोर्ट भी आ जाएगी। इसके साथ ही अस्पताल संचालकों पर मामला दर्ज हुआ है।
राज्य के किसी अस्पताल में आग लगने का यह पहला हादसा नहीं है, इससे पहले जबलपुर की ही अखरी क्षेत्र स्थित एक निजी अस्पताल में अप्रैल 2021 में आग लगी थी और पांच लोगों की जान चली गई थी। इसी तरह चिकित्सा महाविद्यालय में आग में एक नवजात शिशु की जान चली गई थी। राजधानी भोपाल के सरकारी अस्पताल में आग लगने से चार नवजात शिशुओं की जान गई थी।ग्वालियर के जयरोग्य अस्पताल के कोविड वार्ड में भी आग लगी थी और कई लोग झुलसे थे। इसके अलावा भी कई हादसे हुए हैं और हर बार एक ही बात कही जाती है कि अस्पतालों में सुरक्षा के इंतजाम बेहतर किए जाएंगे, देाषियों को बख्शा नहीं जाएगा, मामला दर्ज होगा, गिरफ्तारी होगी और प्रशासनिक अमला इन का जायजा लेगा, मगर हालात नहीं सुधर रहे हैं।
हर बार हादसा होता है और सरकार की ओर से जांच का ऐलान किया जाता है, दोषियों पर सख्त कार्रवाई की बातें कही जाती हैं, मगर फिर हादसा हो जाता है और वही दोहराया जाता है जो पहले कहा गया। यही कारण है कि जबलपुर हादसे के बाद सवाल उठ रहे हैं क्या हादसों से कोई सबक लिया जाएगा या फिर जांच, मुआवजे के अलावा दंड दिए जाने के बयानों तक बात सिमट कर रह जाएगी।
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Source : IANS