तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता की मौत की जांच कर रहे जांच आयोग ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि उसने अब तक 154 गवाहों से पूछताछ की है और केवल चार गवाह बाकी रह गए हैं। रिपोर्ट एक माह के भीतर सौंपी जाएगी।
शीर्ष अदालत ने 26 अप्रैल, 2019 को अपोलो अस्पताल द्वारा जांच के दायरे पर सवाल उठाने वाली याचिका पर आयोग की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी। सितंबर 2017 में, तमिलनाडु सरकार ने न्यायमूर्ति ए. अरुमुघस्वामी (सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता में आयोग का गठन किया था।
न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ तमिलनाडु सरकार द्वारा आयोग की कार्यवाही पर से रोक हटाने के आवेदन पर विचार कर रही है। पीठ मामले की सुनवाई अगले गुरुवार को करने के लिए सहमत हुई।
आयोग की ओर से पेश वकील ने कहा कि उन्होंने 154 से अधिक गवाहों से पूछताछ की है और केवल चार गवाह बचे हैं, और यह एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट देने की स्थिति में होगा। 154 गवाहों में अपोलो अस्पताल से जुड़े 56 डॉक्टर, एम्स के पांच डॉक्टर, तमिलनाडु सरकार द्वारा गठित पांच डॉक्टरों के मेडिकल बोर्ड सहित 12 सरकारी डॉक्टर, 22 पैरामेडिकल स्टाफ और अन्य गवाह शामिल थे।
आयोग चेन्नई के अपोलो अस्पताल में पूर्व मुख्यमंत्री के अस्पताल में भर्ती होने की परिस्थितियों और 75 दिनों के उपचार की जांच कर रहा है, जिसकी परिणति 5 दिसंबर, 2016 को उनकी मृत्यु के रूप में हुई।
तमिलनाडु सरकार के वकील ने पीठ से अनुरोध किया कि वह स्थगन हटाने के आवेदन के संबंध में उसकी दलीलों पर जल्द से जल्द सुनवाई करे और आयोग को जांच पूरी करने की अनुमति दे।
राज्य सरकार ने अपने आवेदन में दावा किया कि यह न्याय के हित में होगा, यदि आयोग को अपना संदर्भ समाप्त करने और सरकार को अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करने की अनुमति दी जाती है।
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Source : IANS