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ITBP के हिमवीरों ने -35 डिग्री के बीच 15,000 फीट की ऊंचाई पर फहराया झंडा

उत्तराखंड के औली में लिए गए ऐसे ही एक वीडियो में ITBP के जवान बर्फ से ढके पहाड़ पर 11,000 फीट की ऊंचाई पर माइनस 20 डिग्री सेल्सियस पर स्कीइंग करते हुए दिखाई दे रहे हैं.

Updated on: 26 Jan 2022, 09:43 AM

highlights

  • भारत आज 73वां गणतंत्र दिवस मना रहा है
  • सैनिकों ने वीडियो और तस्वीरें भी पोस्ट कीं
  • उत्तराखंड के औली में भी मनाया गणतंत्र दिवस का जश्न

दिल्ली:

Republic Day 2022- भारत बुधवार को 73वां गणतंत्र दिवस मना रहा है. भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के सैनिकों जिन्हें हिमवीर कहा जाता है ने बर्फीले लद्दाख सीमाओं पर शून्य से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान में 15,000 फीट पर राष्ट्रीय ध्वज फहराकर राष्ट्र को नमन किया. सैनिकों ने भारत के गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में विशेष वीडियो और तस्वीरें भी पोस्ट कीं हैं. वीडियो में सैनिकों को न केवल लद्दाख में बल्कि हिमालय की चोटियों पर अलग-अलग ऊंचाइयों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराते हुए भीषण ठंड के तापमान का सामना करते हुए दिखाया गया है, जहां वे भारत-चीन सीमा की सुरक्षा के लिए तैनात हैं.

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उत्तराखंड के औली में लिए गए ऐसे ही एक वीडियो में ITBP के जवान बर्फ से ढके पहाड़ पर 11,000 फीट की ऊंचाई पर माइनस 20 डिग्री सेल्सियस पर स्कीइंग करते हुए दिखाई दे रहे हैं. दल का नेतृत्व करने वाला प्रमुख सैनिक तिरंगा लिए हुए है. 
कुछ समय बाद शुरू होने वाली गणतंत्र दिवस परेड में आईटीबीपी के डेयरडेविल बाइकर्स राजपथ पर 10 अलग-अलग तरह के फॉर्मेशन का भी प्रदर्शन करेंगे. यह पहली बार है कि इतने सारे फॉर्मेशन प्रदर्शित किए जाएंगे. आईटीबीपी के अनुसार, लोटस फॉर्मेशन, बॉर्डर मैन्स सैल्यूट, फ्लाई राइडिंग, पवन चक्की, हॉरिजॉन्टल बार एक्सरसाइज, सिक्स-मैन बैलेंस, एरो पोजिशन, जगुआर पोजिशन, हिमालय के प्रहरी और 'आजादी का अमृत महोत्सव' पर थीम आधारित पिरामिड है.

हिमालय में देश की बर्फीली सीमाओं की रक्षा करता है ITBP 

भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ को बल के 'हिमवीर' द्वारा चलती बाइक पर संरचनाओं के रूप में प्रदर्शित किया जाएगा. मिशन 'डेयरडेविल्स' में आईटीबीपी के कुल 146 कर्मी और 33 बुलेट मोटरसाइकिलें भाग लेंगी. 1962 में स्थापित ITBP हिमालय में देश की बर्फीली सीमाओं की रक्षा करता है. यह एक विशेष पर्वतीय बल है जहां अधिकांश अधिकारी प्रशिक्षित पर्वतारोही और स्कीयर होते हैं. वे लद्दाख के काराकोरम दर्रे से अरुणाचल प्रदेश के जचेप ला तक 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा की रक्षा करते हैं.