सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केरल हाईकोर्ट से कहा कि वह 2 करोड़ रुपये में से कोई भी राशि वितरित न करे, जो मछली पकड़ने वाली नौका सेंट एंटनी के मालिक के लिए आवंटित की गई थी, जिस पर सवार दो मछुआरों की 2012 में इतालवी नौसैनिकों द्वारा हत्या कर दी गई थी।
न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यम की पीठ सात जीवित मछुआरों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो उसी मछली पकड़ने वाली नौका (बड़ी नाव) पर सवार थे। यह मछुआरे अब खुद के लिए भी मुआवजे की मांग करते हुए अदालत पहुंचे हैं। मछुआरों ने दलील दी कि वे भी मुआवजे के पात्र हैं और दावा किया कि वे भी इस घटना में घायल हुए थे।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुझाव दिया कि इन मछुआरों की याचिका केरल हाईकोर्ट भेजी जा सकती है, जिसे मुआवजा वितरित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके बाद बेंच ने कहा कि नौका के मालिक को नोटिस भेजना आवश्यक है, क्योंकि आदेश में किसी भी प्रकार का बदलाव किए जाने से उनकी हिस्सेदारी प्रभावित (कम) होगी।
पीठ ने कहा, इस आवेदन की सूचना नाव के मालिक को दी जाए। इसके अलावा अदालत ने केरल उच्च न्यायालय से 15 जून, 2021 के आदेश के अनुसार, नाव मालिक को फिलहाल कोई राशि नहीं देने को भी कहा है।
मछुआरों ने अपनी याचिका में मुआवजे की राशि के वितरण पर तब तक रोक लगाने की मांग की है, जब तक कि उनके दावों पर भी फैसला नहीं हो जाता।
शीर्ष अदालत ने 15 जून को इटली के दो नौसैनिकों मैसिमिलानो लातोरे और सल्वाटोर गिरोन्यू के खिलाफ भारत में आपराधिक कार्यवाही बंद कर दी थी। उन पर दो भारतीय मछुआरों की हत्या का आरोप था। इतालवी मृतक के उत्तराधिकारियों और नाव के मालिक को मुआवजे के रूप में 10 करोड़ रुपये देने पर सहमत हो गए थे।
शीर्ष अदालत ने कहा कि भारत 10 करोड़ रुपये के मुआवजे के लिए सहमत हो गया है और इटली गणराज्य ने इसे जमा कर दिया है, जिसे शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री में स्थानांतरित कर दिया गया है।
शीर्ष अदालत ने तब कहा था, हम मुआवजे और पूर्व में दी गई अनुग्रह राशि से संतुष्ट हैं। यह संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत भारत में सभी कार्यवाही को बंद करने के लिए एक उपयुक्त मामला है।
शीर्ष अदालत ने केरल उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री को 10 करोड़ रुपये हस्तांतरित करने का आदेश दिया था, जिसमें से दो पीड़ितों (गोली लगने से मरे मछुआरे) के परिवारों में से प्रत्येक को 4-4 करोड़ रुपये और नाव मालिक को 2 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाना चाहिए।
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Source : IANS