सुषमा स्‍वराज जी के रास्‍ते पर चलना गर्व की बात होगी, अपने पहले ट्वीट में जानें किसने कही थी ये बड़ी बात

सुषमा स्‍वराज के स्थान पर पूर्व आईएफएस अधिकारी एस जयशंकर को विदेश मंत्रालय की जिम्‍मेदारी दी गई थी.

सुषमा स्‍वराज के स्थान पर पूर्व आईएफएस अधिकारी एस जयशंकर को विदेश मंत्रालय की जिम्‍मेदारी दी गई थी.

author-image
Sunil Mishra
एडिट
New Update
सुषमा स्‍वराज जी के रास्‍ते पर चलना गर्व की बात होगी, अपने पहले ट्वीट में जानें किसने कही थी ये बड़ी बात

विदेश मंत्री एस जयशंकर (फाइल फोटो)

विदेश मंत्री के रूप में पद संभालने के बाद एस जयशंकर ने अपने पहले ही ट्वीट में कहा था- पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के तय किए मानकों को आगे ले जाना और उनके रास्‍ते पर चलना गर्व की बात होगी. बता दें कि सुषमा स्‍वराज के स्थान पर पूर्व आईएफएस अधिकारी एस जयशंकर को विदेश मंत्रालय की जिम्‍मेदारी दी गई थी.

Advertisment

विदेश मंत्री बनने के बाद एस जयशंकर ने ट्वीट किया, 'मेरा पहला ट्वीट- शुभकामना संदेशों के लिए आप सभी का शुक्रिया! महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलने के बाद से गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं. सुषमा स्वराज जी के पदचिह्नों पर चलना बहुत गर्व से भरा हुआ अहसास है.'

यह भी पढ़ें : सुषमा स्वराज की दिलचस्प Love Story, पिता के सामने बेझिझक कह दी थी दिल की बात

जयशंकर देश के मशहूर ब्यूरोक्रेट भी रह चुके हैं. विदेश मामलों की उनकी गहरी समझ को देखते हुए पूर्व पीएम मनमोहन सिंह भी उन्हें विदेश सचिव की जिम्मेदारी देना चाहते थे, लेकिन दे नहीं पाए थे. मोदी सरकार में उन्हें विदेश सचिव बनाया गया था और जब दूसरी बार पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार बनी तो उन्‍हें विदेश मंत्री की जिम्‍मेदारी दे दी गई.

वाजपेयी की सरकार गिरी थी, तब सुषमा ने दिया था ओजस्‍वी भाषण

सुषमा स्‍वराज ने लंबे राजनीतिक जीवन में कई यादगार और ओजमयी भाषण दिए, जिनकी लोग अकसर चर्चा करते रहते हैं. 1996 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार जब गिरी थी, तब सुषमा स्‍वराज ने ओजस्‍वी भाषण से विरोधियों को चित्‍त कर दिया था. 11.06.1996 को सुषमा स्‍वराज के उस भाषण को आज भी याद किया जाता है. उस भाषण के कुछ अंश पढ़िए:

“मैं यहां विश्वासमत का समर्थन करने के लिए खड़ी हुई हूं. अध्यक्ष जी, ये इतिहास में पहली बार नहीं हुआ है, जब राज्य का सही अधिकारी राज्याधिकार से वंचित कर दिया गया हो. त्रेतायुग में यही घटना राम के साथ घटी थी. राजतिलक करते-करते उन्‍हें वनवास दे दिया गया था. द्वापर में यही घटना धर्मराज युद्धिष्ठिर के साथ घटी थी, जब धुर्त शकुनी की दुष्ट चालों ने राज्य के अधिकारी को राज्य से बाहर कर दिया था.

यह भी पढ़ें : इस जिम्मेदारी को संभालने वाली देश की पहली महिला थीं सुषमा स्वराज

अध्यक्ष जी, जब एक मंथरा और एक शकुनी, राम और युद्धिष्ठिर जैसे महापुरुषों को सत्ता से बाहर कर सकते हैं तो हमारे खिलाफ तो कितनी मंथराएं और कितने शकुनी सक्रिय हैं. हम राज्य में बने कैसे रह सकते थे? अध्यक्ष जी, शायद रामराज और स्वराज की नियति यही है कि वो एक बड़े झटके के बाद मिलता है और इसीलिए मैं पूरे विश्वास से कहना चाहती हूं कि जिस दिन 28 तारीख को दोपहर मेरे आदरणीय नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने इस सदन में प्रधानमंत्री पद से इस्तीफे की घोषणा की थी, उस दिन हिन्दुस्तान में रामराज की भूमिका तैयार हो गई थी. हिंदुस्तान में उस दिन स्वराज की नीव पड़ गई थी.

Source : News Nation Bureau

S Jaishankar Sushma Swaraj
      
Advertisment