विवादित पेगासस जासूसी सॉफ्टवेयर को लेकर ममता बनर्जी ने किया सनसनीखेज खुलासा
विवादित जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस को लेकर गुरुवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ा खुलासा किया. उन्होंने कहा है कि अब से तकरीबन 4-5 वर्ष पहले इसराइली साइबर सुरक्षा कंपनी एनएसओ के अधिकारी उनकी पुलिस विभाग से संपर्क किया था.
highlights
- NSO ने पश्चिम बंगाल पुलिस को पेगासस खरीदने का दिया था ऑफर
- ममता ने राजनीतिक इस्तेमाल के खतरे को भांपते हुए ऑफर ठुकराया
- पैगासस के राजनीतिक इस्तेमाल के खुलासे से देश में गर्माई थी राजनीति
नई दिल्ली:
विवादित जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस (Pegasus spyware) को लेकर गुरुवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (WB CM Mamata Banerjee) ने बड़ा खुलासा किया. उन्होंने कहा है कि अब से तकरीबन 4-5 वर्ष पहले इजरायली साइबर सुरक्षा कंपनी एनएसओ ग्रुप ऑफ टेक्नोलॉजीज (NSO Group, Israel cyber intelligence company) के अधिकारी उनकी पुलिस विभाग से संपर्क किया था. इस दौरान उन्होंने पश्चिम बंगाल के पुलिस विभाग को ये विवादित पेगासस सॉफ्टवेयर 25 करोड़ में बेचने का ऑफर दिया था, लेकिन उन्होंने इसे खरीदने से यह कहकर मना कर दिया था, क्योंकि इसका इस्तेमाल राजनीतिक फायदे के लिए जजों और सरकारी अफसरों के खिलाफ किया जा सकता है, जो किसी भी सूरत में मुझे स्वीकार नहीं था.
They (NSO Group, Israeli cyber intelligence company) had come to our police dept 4-5yrs ago to sell their machine (Pegasus spyware) & demanded Rs 25cr; I turned it down as it could have been used politically, against judges/officials, which is not acceptable:WB CM Mamata Banerjee pic.twitter.com/WTnAq8MWyh
— ANI (@ANI) March 17, 2022
गौरतलब है कि इजरायली साइबर सुरक्षा कंपनी एनएसओ ग्रुप टेक्नॉलॉजीज की ओर से विकसित किए गए पेगासस सॉफ्टवेयर के कारण पूरी दुनिया में हंगामा मचा था. भारत में भी कई पत्रकार और विपक्षी नेताओं ने दावा किया गया है कि इस स्पाइवेयर की मदद से सैकड़ों नेताओं, पत्रकारों, एक्टिविस्टों और कारोबारियों की जासूसी की गई थी. पेगासस को लेकर विपक्ष ने केंद्र की मोदी सरकार पर कई गंभीर सवाल उठाए गए थे. बाद में यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था.
फोन की सारी जानकारी हासिल कर लेता है ये सॉफ्टवेयर
दरअसल, पेगासस एक ऐसा स्पाइवेयर है, जिसे एक बार किसी के स्मार्टफोन में डाल दिया जाए तो यह स्पाइवेयर उस फोन का माइक्रोफोन, कैमरा, ऑडियो और टेक्सट मेसेज, ईमेल और लोकेशन तक की सारी जानकारी ये अपने संचालक को भेज देता है.
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ऐसे पकड़ में आया था ये स्पाइवेयर
पेगासस का सबसे पहले खुलासा सऊदी अरब की महिला लुजैन अल-हसलोल के आईफोन में मिली एक फोटो फाइल के जरिए हुआ था. सऊदी अरब में महिलाओं के हक और अधिकारों के लिए आवाज उठाने वाली महिला लुजैन अल-हसलोल के आईफोन से सारी जानकारी ली जा रही थी, इस बात की भनक उन्हें तब लगी, जब पिछले वर्ष फरवरी में जेल से उनकी रिहाई हुई. हसलोल ने शक होने पर अपने फोन में हुई हैकिंग का पता लगाने के लिए कनाडा की संस्था सिटिजन लैब को अपना फोन सौंप दिया. इसके बाद निजता के अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था सिटीजन लैब के वैज्ञानिकों ने इस फोन की बारीकी से जांच की. 6 महीने की जांच के बाद यह ऐतिहासिक खोज हुई. दरअसल, इजरायली जासूसी सॉफ्टवेयर हैकिंग के दौरान एक भी सुराग नहीं छोड़ता था. यही वजह है कि इसका पता लगाना बहुत ही कठिन था. लेकिन एक्टिविस्ट के फोन में मिली इमेज फाइल ने पेगासस और एनएसओ के खिलाफ ठोस सबूत दे दिया था. इसके बाद दुनियाभर में इस सॉफ्टवेयर के शिकार बने लोगों का एक के बाद एक खुलासा होने लगा. ऐसे में सबसे सुरक्षित फोन होने का दावा करने वाले आईफोन को हैक होने की बात भी सामने आई, जो कोई आम बात नहीं थी. लिहाजा, एप्पल कंपनी ने वर्ष 2021 में एनएसओ (NSO)Pegasus Software बनाने वाली कंपनी कोर्ट में मुकदमा कर दिया था.
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