खुफिया एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि पंजाब में चुनावी प्रक्रिया को पटरी से उतारने और खालिस्तानी गतिविधियों को बढ़ाने तथा उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में भी गड़बड़ी करने के
के उद्देश्य से पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) ने अपने आतंकी संगठनों को सक्रिय कर दिया है।
खुफिया जानकारी के हवाले से सुरक्षा सूत्रों ने कहा कि आईएसआई प्रायोजित सिख आतंकी संगठन चुनावी रैलियों को निशाना बना सकते हैं और पंजाब, उत्तरप्रदेश तथा उत्तराखंड के कुछ हिस्सों में चुनावी प्रक्रिया के दौरान कुछ महत्वपूर्ण नेताओं या अति विशिष्ट नेताओं की हत्या का प्रयास कर सकते हैं।
सूत्रों ने बताया कि पंजाब में चुनावों को राज्य में खालिस्तानी आंदोलन को फिर से सक्रिय करने के एक बेहतर अवसर के तौर पर और अन्य मतदान वाले राज्यों में जहां सिख मतदाता बड़ी संख्या में हैं, वहां आईएसआई ने सभी छोटे या बड़े आतंकवादी समूहों को सक्रिय कर दिया है। इन्हें चुनाव प्रक्रिया को पटरी से उतारने का काम सौंपा गया है।
यह खुफिया जानकारी पंजाब, उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड के साथ साझा की गई है और यह भी पता चला है कि ये संगठन अन्य राज्यों में भी सिख आबादी के बीच समर्थन हासिल करने के लिए घुसपैठ करने की कोशिश कर सकते हैं। आईएसआई ने इन प्रतिबंधित सिख उग्रवादी संगठनों को यह भी बता दिया है कि यह खालिस्तान के लिए अभी या कभी नहीं का समय है।
इन खुफिया जानकारी के बाद ,उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड सरकारों को इन गतिविधियों पर नजर रखने और इन राज्यों में सिख धर्मगुरुओं और प्रमुख व्यक्तियों के संपर्क में रहने के लिए कहा गया है।
आईएसआई ने विदेशों में सक्रिय सिख आतंकवादी समूहों को पंजाब में हथियारों और विस्फोटकों की आपूर्ति जुटाने तथा इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन , बब्बर खालसा इंटरनेशनल जैसे संगठनों को पाकिस्तानी हैंडलर के माध्यम से हथियारों की व्यवस्था करने का निर्देश दिया है।
सूत्रों ने खुफिया जानकारी के हवाले से यह भी कहा कि बब्बर खालसा इंटरनेशनल का आतंकवादी वाधव सिंह बब्बर, खालिस्तान कमांडो फोर्स का परमजीत सिंह पंजावर और खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स का रंजीत सिंह नीता लगातार आईएसआई के संपर्क में हैं। सिख फॉर जस्टिस का गुरपतवंत सिंह पन्नू पंजाब में अपने आदमियों का हर तरह से समर्थन करने के लिए ब्रिटेन, अमेरिका और जर्मनी में सक्रिय है। भारतीय अधिकरियों ने पहले ही इसे आतंकवादी घोषित कर रखा है।
उन्होंने यह भी कहा कि लखवीर सिंह के नेतृत्व वाले आईएसवाईएफ का पाकिस्तान के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा पर लगते भारतीय गांवों में काफी प्रभाव है और उसके कई गुर्गे बम और अन्य विस्फोटक उपकरण बनाने में माहिर हैं।
सूत्रों ने बताया कि लखवीर सिंह को इन विस्फोटकों को तस्करी के बाद पंजाब में सुरक्षित स्थानों पर छिपाने का काम सौंपा गया है।
सीमा पार हथियारों और विस्फोटकों को ढोने के लिए ड्रोन का उपयोग हाल के दिनों में पंजाब सीमा पर सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। अधिकारियों के अनुसार, पंजाब सेक्टर में भारत-पाकिस्तान सीमा पर ड्रोन की 60 से अधिक घटनाएं देखी गई हैं। उनमें से कई को सीमा सुरक्षा बल ने मार गिराया है।
हाल ही में लुधियाना में हुए विस्फोट की जांच से यह भी पता चला है कि किस प्रकार ये सिख उग्रवादी समूह अपने स्थानीय कार्यकर्ताओं के साथ राज्य में अपने आतंकी हमलों को अंजाम देने की कोशिश कर रहे हैं।
पंजाब सुरक्षा ग्रिड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आईएसआई ने लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए मोहम्मद, इंडियन मुजाहिदीन और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे पुराने आतंकी समूहों को भी सक्रिय कर दिया है और उन्हें पंजाब और उत्तर प्रदेश के अन्य हिस्सों में अपने स्लीपर सेल नेटवर्क को फिर से बनाने के लिए कहा है। तालिबान के पिछले साल अगस्त में अफगानिस्तान में शासन हथियाने के बाद पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में स्थित ये आतंकी समूह जम्मू -कश्मीर में जमीनी कार्यकर्ताओं के माध्यम से अधिक सक्रिय हो गए हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को सीमा से पंजाब के भीतरी इलाकों में 50 किलोमीटर तक बढ़ाने से सुरक्षा बलों को आगामी चुनावों में आतंकवादी गतिविधियों को रोकने में मदद मिलेगी।
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Source : IANS