क्या सोनिया (Sonia Gandhi) और राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के बीच शीतयुद्ध (Cold War) में पिस रही हैं प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra)?
Sonia Gandhi-Rahul Gandhi Cold War : कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Congress Interim President Sonia Gandhi) और राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के बीच अनबन के चलते प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi Vadra) पिस रही हैं. प्रियंका यह तय नहीं कर पा रही हैं कि सोनिया या राहुल में से किसका साथ दें.
नई दिल्ली:
कांग्रेस (Congress) को लेकर राजनीतिक गलियारों में सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) और राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के बीच अनबन की खबरें आम हो चली हैं. महाराष्ट्र (Maharashtra) और हरियाणा (Haryana) में हो रहे विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के नजदीकी नेताओं को पूरी तरह नजरंदाज कर दिया गया है. राहुल गांधी के नजदीकी रहे कई नेताओं ने पार्टी छोड़ दी है या फिर बगावत (Rebel) की राह पर हैं. राहुल गांधी खुद विदेश चले गए हैं, जैसा कि मीडिया रिपोर्ट में दावे किए जा रहे हैं. यह भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Congress Interim President Sonia Gandhi) और राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के बीच अनबन के चलते प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi Vadra) पिस रही हैं. प्रियंका यह तय नहीं कर पा रही हैं कि सोनिया या राहुल में से किसका साथ दें.
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बताया जा रहा है कि सोनिया गांधी द्वारा कांग्रेस का अंतरिम अध्यक्ष पद स्वीकार किए जाने के बाद से राहुल गांधी नाराज हैं. लोकसभा चुनाव के बाद जब राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था, तब उन्होंने स्पष्ट किया था कि अब गांधी परिवार का कोई भी व्यक्ति अध्यक्ष पद धारण नहीं करेगा. राहुल गांधी ने उसके बाद कई प्रेस कांफ्रेंस में भी इस बात को बहुत मजबूती से दोहराया था. लेकिन जब अध्यक्ष के चुनाव के लिए कांग्रेस कार्यसमिति बैठी तो प्रारंभिक ना-नुकुर के बाद सोनिया गांधी ने अंतरिम अध्यक्ष पद स्वीकार कर लिया. यही बात राहुल गांधी को चुभ गई, जैसा कि बताया जा रहा है. गांधी परिवार के किसी सदस्य को अध्यक्षी न देकर राहुल गांधी पार्टी में नई परंपरा डालना चाहते थे और पीएम नरेंद्र मोदी के वंशवाद के आरोपों को खारिज करना चाहते थे, लेकिन सोनिया गांधी के अंतरिम अध्यक्ष बन जाने से उनका उद्देश्य धराशायी हो गया.
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बताया जा रहा है कि सोनिया गांधी द्वारा अंतरिम अध्यक्ष पद स्वीकार किए जाने के पीछे उनके राजनीतिक सलाहकार रहे अहमद पटेल और मोतीलाल वोरा का दिमाग है. ये दोनों नेता राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद से हाशिए पर चले गए थे और टीम राहुल में इनकी कोई हैसियत नहीं रह गई थी. यही बात टीम सोनिया के नेताओं को परेशान कर रही थी. इन्हीं नेताओं की सलाह पर सोनिया गांधी ने अंतरिम अध्यक्ष पद धारण करना स्वीकार कर लिया और इस तरह राहुल गांधी का कांग्रेस में नई संस्कृति विकसित करने का दावा धरा का धरा रह गया.
सोनिया गांधी और राहुल गांधी के बीच अनबन के चलते प्रियंका गांधी परेशान हैं. बताया जा रहा है कि सोनिया गांधी के नजदीकी बुजुर्ग नेताओं के आगे किसी की चल नहीं रही है. ऐसे में प्रियंका गांधी चाहकर भी सोनिया और राहुल गांधी के बीच सामंजस्य स्थापित नहीं करवा पा रही हैं. महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में किनारा किए जाने से नाराज संजय निरूपम ने पार्टी से किनारा कर लिया है. उधर हरियाणा के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहे अशोक तंवर ने पार्टी को अलविदा कह दिया है. ऐसे में दोनों ही राज्यों में कांग्रेस को इसका नुकसान हो सकता है.
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उधर, राजस्थान से खबर है कि उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नाक में दम कर रखा है. मध्य प्रदेश में मौका मिलते ही ज्योतिरादित्य सिंधिया कमलनाथ का तख्ता पलटने की जुगत में हैं. 2014 के बाद 2019 में में घोर पराजय के बाद कांग्रेस के हौंसले पस्त हैं. तीन तलाक़ पर कानून बनने और अनुच्छेद 370 पर मोदी सरकार के पराक्रम से कांग्रेस और भी पस्त हो गई है.
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करारी हार के बाद भी कांग्रेस आलाकमान ने एक भी चिंतन बैठक का आयोजन करना मुनासिब नहीं समझा. पार्टी ने एक बार भी पराजय का कारण जानने की जहमत नहीं उठाई. ऐसे में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के बीच मतभेद की खबरें कांग्रेस के लिए और भी नुकसानदेह हो सकती हैं. एक-एक कर कांग्रेस के बड़े नेता जेल जा रहे हैं और उधर पार्टी अपने शीर्ष परिवार में अंतर्कलह से जूझ रही है. लिहाजा आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए परेशानी खड़ी हो सकती है.
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