सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था के मुताबिक हफ्ते में 5 दिन सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करता है. इनमें सोमवार, शुक्रवार Miscellaneous Day होते है, इनमे नए मामलों की सुनवाई करती है. बाकी तीन दिन मंगलवार, बुधवार और गुरुवार को रेगुलर मामले की सुनवाई होती है. ऐसे में अगर अयोध्या मामले की नियमित सुनवाई संविधान पीठ करती है, तो व्यवस्था के मुताबिक हफ्ते में सिर्फ तीन दिन ही अयोध्या मामले की सुनवाई होगी. 17 नवंबर को रिटायर हो रहे चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के कार्यकाल में ही दीपावली और दशहरे के अवकाश भी पड़ेंगे. दशहरा पर कोर्ट 7 अक्टूबर से 12 अक्टूबर , और दीपावली पर 28 अक्टूबर से 1 नवंबर तक बंद रहेगा.
इस लिहाज़ से कुल 35 दिन सुनवाई ले लिए बचते है. हालांकि सुनवाई कैसे हो, ये पूरी तरह से कोर्ट का विशेषाधिकार है. चीफ जस्टिस चाहे तो हफ्ते के Miscellaneous Day यानि सोमवार और शुक्रवार को भी दोपहर बाद सुनवाई कर सकते है और अवकाश वाले दिनों में भी विशेष सुनवाई संभव है.
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उम्मीद है कि 6 अगस्त को होने वाली सुनवाई में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई आगे सुनवाई की रूपरेखा तय करेगे बल्कि किस पक्ष को जिरह का कितना मौका मिलेगा, ये भी तय कर देंगे.
बता दें चीफ जस्टिस रंजन गोगोई इसी साल 17 नवंबर को रिटायर होने वाले हैं. रिटायरमेंट से पहले सुनवाई पूरी कर फैसला देना जरूरी है. अगर फैसला नहीं आया तो मामले की दोबारा सुनवाई करनी होगी.
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चलित परंपरा और नियम के मुताबिक अगर सुनवाई पूरी होने या फैसला सुनाने से पहले कोई जज रिटायर होता है तो नई बेंच बनाकर पूरे मामले की फिर से सुनवाई करनी पड़ती है. इसलिए चीफ जस्टिस हर हाल में 17 नवंबर से पहले अयोध्या मुद्दे को अंजाम तक पहुंचाने की कोशिश करेंगे. मोटे तौर पर सुप्रीम कोर्ट के सामने अयोध्या विवाद के निपटारे के लिए करीब साढ़े तीन महीने का वक्त है. ऐसे में नियमित सुनवाई के तहत अदालत के पास किसी नतीजे पर पहुंचने के लिए बमुश्किल 40 से 45 दिन मिलेंगे. हालांकि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई तेजी से मामलों के निपटारे के लिए मशहूर हैं. इस लिहाज से अयोध्या विवाद के हल के लिए इतना समय पर्याप्त माना जा रहा है