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अजित पवार को क्लीन चिट मिलने के बाद मोदी सरकार पर हमलावर हुई कांग्रेस( Photo Credit : फाइल फोटो)
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार को सिंचाई घोटाले में बड़ी राहत मिली है. अजित पवार (Ajit Pawar) के खिलाफ सिंचाई घोटाले के 9 मामलों को बंद कर दिया गया है. अजित पवार को क्लीन चिट मिलने के बाद सियासी बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है. कांग्रेस को मोदी सरकार पर हमला करने का मौका मिल गया है. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि मोदी है तो मुमकिन है.
रणदीप सुरजेवाला (Randeep Surjewala) ने ट्वीट करके कहा, 'भाजपा-अजित पवार द्वारा महाराष्ट्र के ‘प्रजातंत्र चीरहरण अध्याय’ की असलियत उजागर...एक नाजायज़ सरकार द्वारा एंटी करप्शन ब्युरो को सब मुक़दमे बंद करने का आदेश...खाएंगे और खिलाएंगे भी, क्योंकि ये ईमानदारी के लिए ‘ज़ीरो टॉलरन्स’ वाली सरकार है.'
भाजपा-अजित पवार द्वारा महाराष्ट्र के ‘प्रजातंत्र चीरहरण अध्याय’ की असलियत उजागर।
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) November 25, 2019
एक नाजायज़ सरकार द्वारा एंटी करप्शन ब्युरो को सब मुक़दमे बंद करने का आदेश।
खाएँगे और खिलाएँगे भी,
क्योंकि ये ईमानदारी के लिए ‘ज़ीरो टॉलरन्स’ वाली सरकार है।
मोदी है तो मुमकिन है। pic.twitter.com/T5vHtXysKO
इधर, सिंचाई घोटाले से संबंधित 3000 प्रोजेक्ट्स जांच के घेरे में हैं और इनमें से 9 मामलों को सबूतों के अभाव में बंद कर दिया गया है. अभी तक जिन टेंडर की जांच की गई है, एन्टी करप्शन ब्यूरो के मुताबिक़ जांच के दौरान घोटाले के कोई सबूत न होने की वजह से ये मामले बंद किये जा रहे हैं. सभी मामलों में 9 मामलों की फ़ाइल बंद की गई है.
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इन मामलों में अजित पवार की सीधी संलिप्तता (involvement) नहीं है. सबूतों के अभाव में हमने जांच बंद की है. ये 9 मामले 'conditional cases' थे, मतलब आगे जब सबूत मिलेंगे, तो इन्हें कोर्ट के निर्देश के बाद फिर से खोला जा सकता है.
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बता दें कि महाराष्ट्र में हलचल उस वक्त तेज हो गई जब बीजेपी, एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बना ली. शनिवार को देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और अजित पवार ने डिप्टी सीएम की. सुबह-सुबह हुए शपथ ग्रहण समारोह की खबर फैलते ही शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी में हड़कंप मच गया. एनसीपी चीफ शरद पवार ने दावा किया कि उन्होंने बीजेपी को समर्थन नहीं दिया है. अजित पवार ने धोखे से विधायकों द्वारा साइन लेटर राज्यपाल को दिए हैं. इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है.