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राम मंदिर निर्माण में नहीं किया गया लोहे और स्टील का इस्तेमाल, जानें कितना है मजबूत

इसे बनाने के लिए खास टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है. इसे तरह से डिजाइन किया गया है कि हजारों सालों तक भूकंप भी कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा. 

Updated on: 20 Jan 2024, 06:07 PM

नई दिल्ली:

Ram Mandir: देशभर में राम मंदिर को लेकर खासा उत्साह देखा जा रहा है. राम भक्तों के लिए 500 सालों के लंबे संघर्ष के बाद ये दिन आया है. 22 जनवरी को भव्य राम मंदिर में पूजा की जाएगी. जानकारी के अनुसार 84 सेकेंड के शुभ मुहूर्त में प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. अयोध्या में रामलला का भव्य मंदिर बनकर तैयार हो चुका है. इसमें इंडियन आर्किटेक्चर का बड़ा शानदार नमूना देखने को मिलेगा. 23 जनवरी से आम  लोगों के लिए इसे खोल दिया जाएगा. इसे बनाने के लिए खास टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है. इसे तरह से डिजाइन किया गया है कि हजारों सालों तक भूकंप भी कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा. 

कोई लोहा और स्टील नहीं

अयोध्या के इस राम मंदिर के भूतल का काम पूरा हो चुका है. ये मंदिर तीन मंजिला होगा इसके साथ ही ये 2.7 एकड़ में फैला होगा. जानकारी के अनुसार ये 57 हजार वर्ग फीट में होगा. मंदिर की ऊंचाई 161 फीट यानी कुतुब मीनार की ऊंचाई का 70 फीसदी होगी. लेकिन इस मंदिर की सबसे बड़ी और खास बात ये है कि इसे बनाने के लिए किसी भी तरह के लोहे और स्टील का उपयोग नहीं किया गया है. मंदिर समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा का कहना है कि मंदिर को इस तरह से तैयार किया गया है कि अगले 1 हजार साल तक कुछ नहीं होगा. 

2500 साल भूंकपरोधी

इस मंदिर को चंद्रकांत सोमपुरा ने डिजाइन किया है. राम मंदिर को नागर शैली के तहत तैयार किया जा रहा है. जानकारी के अनुसार पिछले 15 पीढ़ियों से सोमपुरा का परिवार मंदिर डिजाइन करने के काम में लगा हुआ है. वहीं आईआईटी रुड़की के डायरेक्टर डॉ. प्रदीप कुमार रामंचरला ने बताया कि राम मंदिर के लिए सबसे अच्छी क्वालिटी का ग्रेनाइट, बलुआ पत्थर और संगमरमर का उपयोग किया जा रहा है. इतना ही नहीं अगले 2500 साल तक भूकंप से बचा रहेगा ऐसा डिजाइन किया गया है. 

15 मीटर की खुदाई

नृपेंद्र मिश्रा ने जानकारी दी कि सरयू नदी के पास वाला एरिया पूरा रेतीला है जो कभी भी धंस सकता है. ऐसी जगह पर मंदिर बनाना काफी चुनौतीपूर्ण काम था. लेकिन इसका भी सॉल्यूशन निकाला गया. सबसे पहले जहां मंदिर बनना था उस पूरे एरिया को 15 मीटर गहरा खोदा गया. इसके बाद 12-15 मीटर की गहराई तक इंजीनियर्ड मिट्टी बिछाई गई. इस दौरान किसी लोहे और स्टील का उपयोग नहीं किया गया. इसके बाद इसमें 47 परत कॉम्पेक्ट किया गया जिससे ये चट्टान की तरह मजबूत हो जाए. इसके बाद इसमें 1.5 मीटर मोटी मेटल फ्री राफ्ट लगाया गया. इससे पूरी नींव मजबूत हो गई. इतना ही नहीं इसके बाद इस पर 6.3 मीटर का मोटे ठोस ग्रेनाइड पत्थर बिछाया गया.