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CAA पर बोल रहे केरल के राज्यपाल को रोकने की कोशिश, कहा- चुप नहीं करा सकते हैं

केरल के कन्नूर में शनिवार को हुए भारतीय इतिहास कांग्रेस (Indian History Congress) में राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान (Arif Mohammed Khan) को बोलने से रोकने की कोशिश की गई.

Updated on: 28 Dec 2019, 07:44 PM

नई दिल्‍ली:

केरल के कन्नूर में शनिवार को हुए भारतीय इतिहास कांग्रेस (Indian History Congress) में राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान (Arif Mohammed Khan) को बोलने से रोकने की कोशिश की गई. कुछ प्रतिनिधियों और छात्रों ने उनका विरोध किया. उन्होंने जैसे ही CAA के विरोध में हुए प्रदर्शन के बारे में बोलना शुरू किया तभी इतिहासकार इरफान हबीब ने स्टेज पर पहुंचकर उन्हें रोकने का प्रयास किया. इसके बाद राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि सभी को विरोध करने का हक है, लेकिन आप किसी को चुप नहीं करा सकते हैं.

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कन्नूर विश्वविद्यालय में हुए समारोह में राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान मुख्य अतिथि थे. उनसे पहले माकपा के राज्यसभा सदस्य केके रागेश और इतिहासकार इरफान हबीब ने कांग्रेस को संबोधित करते हुए नागरिकता संशोधन कानून का मुद्दा उठाया था. जब दोनों की ओर से उठाए गए CAA के मुद्दे पर आरिफ खान ने जवाब देना शुरू किया तो वहां बैठे कुछ प्रतिनिधियों और छात्रों ने उनका विरोध शुरू कर दिया.

इस पर राज्यपाल ने कहा कि आपको विरोध करने का पूरा हक है, लेकिन आप मुझे बोलने से नहीं रोक सकते हैं. आरिफ खान बार-बार यह शब्द दोहराते रहे, लेकिन विरोध शांत नहीं हुआ. इस संबंध में आरिफ मोहम्मद खान ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक पोस्ट शेयर किया है. इसमें उन्होंने बताया कि मंच से बोलने के दौरान कैसे इरफान हबीब उन्हें रोकने पहुंच गए? इस दौरान उनके सुरक्षागार्ड्स के साथ हल्की धक्का-मुक्की की गई. उन्होंने इस घटना की निंदा की है.

राज्यपाल ने घटना का जिक्र करते हुए लिखा कि श्री इरफान हबीब, कांग्रेस के 80वें अधिवेशन के उद्घाटन के दौरान मेरे संबोधन पर तब हमलावर हो गए जब उन्होंने मौलाना अब्दुल कलाम आजाद का हवाला दिया. उन्होंने मुझ पर चिल्लाते हुए कहा कि मुझे गोडसे का हवाला देना चाहिए. जब उन्हें मंच पर चढ़ने से रोका गया तो उन्होंने माननीय राज्यपाल के सहायक सैनिक अधिकारी और सुरक्षाकर्मियों को धक्का दे दिया.

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उन्होंने थोड़ी देर बाद एक और ट्वीट किया. इसमें उन्होंने लिखा कि मैं पहले के वक्ताओं का जवाब दे रहा था और लोगों को संविधान की मूल भावना समझाने की कोशिश कर रहा था. लेकिन मंच और सामने बैठे लोगों ने मुझे बोलने से रोका. जो पूरी तरह असंवैधानिक है. यह दूसरों की विचारधारा के खिलाफ असहिष्णुता को दर्शाता है.'