IRCTC टेंडर घोटालाः तेजस्वी यादव और राबड़ी देवी को पटियाला हाउस कोर्ट से मिली जमानत

कोर्ट ने दोनों को एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी है। मामले पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने इस मामले से जुड़े सभी आरोपियों को जमानत दे दी।

कोर्ट ने दोनों को एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी है। मामले पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने इस मामले से जुड़े सभी आरोपियों को जमानत दे दी।

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abhiranjan kumar
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IRCTC टेंडर घोटालाः तेजस्वी यादव और राबड़ी देवी को पटियाला हाउस कोर्ट से मिली जमानत

तेजस्वी यादव (फाइल फोटो)

IRCTC टेंडर घोटाला मामले में तेजस्वी यादव और राबड़ी देवी को पटियाला हाउस कोर्ट ने सुनवाई के बाद जमानत दे दी है। कोर्ट ने दोनों को एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी है। मामले पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने इस मामले से जुड़े सभी आरोपियों को जमानत दे दी। इससे पहले कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव शुक्रवार यानि 31 अगस्त को पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई के लिए पेश हुए थे।

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आईआरसीटीसी मामले में कोर्ट ने लालू प्रसाद उनकी पत्नी राबड़ी देवी और बेटे तेजस्वी यादव समेत अन्य आरोपियों को 31 अगस्त को अदालत में पेश होने के लिए समन भेजा था।

पेशी को लेकर एक सवाल के जवाब में तेजस्वी ने कहा था, 'न्यायिक प्रक्रिया है, पूरा तो करना ही होगा।' मामला 2006 में रांची और पुरी में दो आईआरसीटीसी होटलों के अनुबंधों के आवंटन में कथित अनियमितताओं से संबंधित है।

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लालू पर आरोप है कि वह रेल मंत्री रहते हुए एक निजी कंपनी द्वारा पटना में एक महत्वपूर्ण जगह पर तीन एकड़ का व्यावसायिक प्लॉट बतौर रिश्वत लिया था। इधर, रांची में सीबीआई अदालत के सामने समर्पण कर दिया है।

अदालत के सामने सरेंडर करने के बाद लालू प्रसाद यादव सीधे बिरसा मुंडा जेल पहुंचे। यहां से उन्हें इलाज के लिए रिम्स भर्ती कराया गया। वहीं, लालू यादव के वकील प्रभात कुमार ने लालू के सरेंडर की जानकारी देते हुए कहा,'एशियन हार्ट इंस्टीट्यूट के डॉक्टर उनकी जांच करेंगे और फिर अदालत को उनकी हालत के बारे में सूचित करेंगे।'

गौरतलब है कि लालू यादव चारा घोटाले में दोषी करार दिए जाने के बाद 23 दिसंबर, 2017 से रांची के बिरसा मुंडा जेल में बंद थे। लालू को 2013 के बाद चारा घोटाले के चार मामलों में दोषी करार दिया गया है। दुमका, देवघर और चाईबासा कोषागार मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने उन्हें 14 साल कारावास की सजा सुनाई थी।

करोड़ों रुपये का चारा घोटाला लालू यादव के बिहार के मुख्यमंत्री रहने के दौरान 1990 के दशक में सामने आया था। पटना हाई कोर्ट के निर्देश पर जांच को केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंपा गया था।

Source : News Nation Bureau

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