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कार्ति चिदंबरम (फाइल फोटो)
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कार्ति चिदंबरम (फाइल फोटो)
कार्ति चिदंबरम को आईएनएक्स डील मामले में फिलहाल कोई राहत मिलती नजर नहीं आ रही है। सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ जारी लुक आउट नोटिस पर सुनवाई 4 अक्टूबर तक के लिए टाल दी। इसके साथ ही कार्ति के विदेश जाने पर भी रोक जारी रहेगी।
इस बीच सीबीआई ने कार्ति के खिलाफ सबूतों को सीलबंद लिफाफे में शुक्रवार को कोर्ट को सौंप दिया।
सुनवाई के दौरान एडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दावा किया कि कार्ति के कई विदेशी खाते हैं, उनमें हुए लेन-देन का पूरा ब्यौरा रिपोर्ट में है। सुनवाई के दौरान जांच एजेंसी ने कोर्ट को बताया कि जांच के दौरान कई बातें सामने आई हैं और अभी कई खुलासे बाकी हैं।
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तुषार मेहता ने कहा, 'वह विदेश में क्या करते थे, सबकुछ इस लिफाफे में बंद है।'
कार्ति के वकील कपिल सिब्बल इस दौरान लगातार एडिशनल सॉलिसिटर जनरल के बंद लिफाफे के जमा कराने के कदम का विरोध किया।
इसके बाद एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने बेंच से कहा, 'मेरे लिए अब जरूरी है कि मैं यह बताऊं कि लिफाफे में क्या है। उन्होंने (कार्ति) पूछताछ के दौरान कहा था कि देश से बाहर उनका केवल एक बैंक खाता है। लेकिन जब भी वह विदेश गए, वह कई खातों को बंद कर रहे थे। मैं यह सब नहीं कहना चाहता था क्योंकि इससे उनकी बेइज्जती होगी लेकिन मुझे इसके लिए फोर्स किया गया।'
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क्या है मामला
पूर्व वित्त मंत्री पी चिंदबरम के बेटे कार्ति चिंदबरम पर पीटर मुखर्जी और उनकी पत्नी इंद्राणी मुखर्जी के मुंबई के मीडिया समूह आइएनएक्स को नियमों को ताक पर रखकर विदेशी फंड मुहैया कराने का आरोप है।
दरअसल, कार्ती चिदंबरम पर 3.5 करोड़ रुपये एफआईपीबी मंजूरी के लिए लेने का आरोप है। आइएनएक्स पीटर और इंद्राणी मुखर्जी चलाते थे। पीटर व इंद्राणी शीना बोरा हत्या मामले में आरोपी हैं।
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मामले की प्राथमिकी में पी चिदंबरम का नाम नहीं है, हालांकि यह कहा जाता है कि उन्होंने एफआईपीबी की 18 मई 2007 की बैठक में कंपनी में 4.62 करोड़ रुपये के विदेश प्रत्यक्ष निवेश के लिए एफआईपीबी मंजूरी दी थी।
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Source : News Nation Bureau