धरती पर मौजूद जंतुओ और पौधों के बीच के संतुलन को बनाए रखने के लिए अतंरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस 22 मई को मनाया जाता है। इसे 'विश्व जैव-विविधता संरक्षण दिवस' भी कहते है।
आज इसके 25 साल पूरे हो गए है। इस बार की थीम 'Celebrating 25 Years of Action for Biodiversity' है। इसकी शुरूआत संयुक्त राष्ट्र 1993 में ने की थी।
इतिहास
नैरोबी में 29 दिसंबर 1992 को हुए जैव-विविधता सम्मेलन में यह निर्णय लिया गया था, किंतु कई देशों के व्यावहारिक कठिनाइयां जाहिर करने के कारण इस दिन को 29 मई की बजाय 22 मई को मनाने का निर्णय लिया गया।
वैश्विक नेताओं ने भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक जीवित नक्षत्र सुनिश्चित करते हुए वर्तमान जरूरतों को पूरा करने के लिए 'सतत विकास' की एक व्यापक रणनीति पर सहमति व्यक्त की थी। 193 सरकारों ने इस पर हस्ताक्षर किए गए थे। भारत सीबीडी का एक पक्षकार है ।
उद्देश्य और प्रभाव
इसका उद्देश्य ऐसे पर्यावरण का निर्माण करना है, जो जैव विविधता में समृद्ध, टिकाऊ और आर्थिक गतिविधियों के लिए अवसर प्रदान कर सके।
जैव विविधता का तात्पर्य विभिन्न प्रकार के जीव−जंतु और पेड़-पौधों का अस्तित्व धरती पर एक साथ बनाए रखने से होता है। इसकी कमी से बाढ़, सूखा और तूफान आदि जैसी प्राकृतिक आपदा का खतरा बढ़ जाता है।
पारिस्थितिक संतुलन को बनाये रखने तथा खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने में भी जैव विविधता की अहम भूमिका होती है। इसलिए हमे प्रकृति से उपहार के रूप में मिले पेड़-पौधे, अनेक प्रकार के जीव-जंतु, मिट्टी, हवा, पानी, महासागर, समुद्र, नदिया आदि का संरक्षण करना चाहिए।
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Source : News Nation Bureau