कांग्रेस में अंदरूनी कलह उभरी, बिहार में हार के बाद असंतुष्टों ने की बैठक
कपिल सिब्बल द्वारा चुनावी पराजयों पर चिंता जताने और नेतृत्व की आलोचना के बाद कई नेता नेतृत्व के बचाव में आ गए, जिनमें राजस्थान और छत्तीसगढ़ के दो मुख्यमंत्री शामिल थे.
नई दिल्ली:
कांग्रेस के 23 असंतुष्ट नेताओं के समूह ने बिहार के नतीजों के बाद पार्टी में चल रहे आंतरिक संकट के बीच बैठक की. एक नेता ने कहा, 'यह लड़ाई पार्टी के पुनरुद्धार के लिए है न कि विद्रोह के लिए.' जो लोग शारीरिक रूप से उपस्थित नहीं हो सकते थे, उनसे दूर से मस्टर सपोर्ट के लिए संपर्क किया गया था और पार्टी में बहुत आवश्यक सुधारों पर जोर दिया गया. सूत्रों ने कहा कि गुलाम नबी आजाद सोनिया गांधी को संदेश देंगे. एक सूत्र ने हालांकि कहा कि इस तरह की कोई संगठित बैठक नहीं हुई है, क्योंकि समूह जुलाई और उसके बाद से कई बार बैठकें कर चुका है.
पार्टी नेता ने दावा किया कि 'पुनरुद्धार' के लिए समर्थन 50 से अधिक हो गया है, क्योंकि तत्काल सुधारों के लिए सामूहिक रूप से उन सभी की कल्पना पर जोर दिया है जो कांग्रेस के लिए सबसे अच्छा चाहते हैं. मंगलवार को सोनिया गांधी द्वारा गठित समूह ने जिसमें अहमद पटेल, अंबिका सोनी, रणदीप सुरजेवाला, के.सी. वेणुगोपाल और मुकुल वासनिक हैं, ने वर्चुअल रूप से बिहार के नतीजों के साथ-साथ उपचुनावों के नतीजों पर भी चर्चा की. सूत्रों का कहना है कि बिहार प्रभारी शक्तिसिंह गोहिल और गुजरात प्रभारी राजीव सातव ने पद छोड़ने की पेशकश की. हालांकि, उन्हें सोनिया गांधी के स्थिति का जायजा लेने तक पद पर बने रहने के लिए कहा गया.
कपिल सिब्बल द्वारा चुनावी पराजयों पर चिंता जताने और नेतृत्व की आलोचना के बाद कई नेता नेतृत्व के बचाव में आ गए, जिनमें राजस्थान और छत्तीसगढ़ के दो मुख्यमंत्री शामिल थे, जिन्होंने सार्वजनिक रूप से जगजाहिर करने के लिए सिब्बल की आलोचना की. जिस तरह से बिहार चुनाव और राज्यों के उपचुनावों को पार्टी ने संभाला और हाल ही में उपचुनावों में मिली हार को लेकर पार्टी के अंदरखाने में कलह जोरों पर है. असंतुष्ट नेता चाहते हैं कि नए सिरे से संगठनात्मक चुनावों को ब्लॉक से सीडब्ल्यूसी स्तर तक कायाकल्प किया जाए.
समूह सीडब्ल्यूसी के चुनावों पर जोर दे रहा है और पार्टी में संसदीय बोर्ड के रिवाइवल पर भी जोर दे रहा है. कपिल सिब्बल जो अगस्त में विवादित पत्र लिखने वाले नेताओं में से एक हैं, ने कहा है कि चिंता जाहिर के लिए कोई मंच नहीं है इसलिए वह सार्वजनिक रूप से अपनी बात रख रहे हैं. सिब्बल ने कहा कि पार्टी को स्वीकार करना होगा कि यह 'पतन पर है' और संगठनात्मक पुनर्गठन और मीडिया प्रबंधन से लेकर खुद को मजबूत करने के लिए कई तरीकों की जरूरत है. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि उनकी पार्टी को विचारशील नेतृत्व की जरूरत है जो अधिक मुखर हो और चीजों को आगे बढ़ा सके. उन्होंने कहा, 'पार्टी के पास चर्चा के लिए अधिक अनुभवी लोग हैं, (वे) जो राजनीतिक स्थिति को समझ सकते हैं और लोगों तक पहुंच बनानी होगी.'
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