बाहुबली शहाबुद्दीन का ‘क्राइम’लॉजी, जाने दबंग बनने की कहानी
शहाबुद्दीन पर हत्या और अपहरण समेत कई आपराधिक मामले दर्ज़ हैं। कोई उन्हें बाहुबली कहता है तो कोई दबंग।
पटना:
पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन जेल से बाहर आ गए हैं। शहाबुद्दीन के राजनीतिक दमखम का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जेल से रिहाई के वक़्त उनकी आगवानी के लिए हज़ारों की संख्या में गाड़ियां बिछा दी गईं। आपको बता दें कि शहाबुद्दीन पर हत्या और अपहरण समेत कई आपराधिक मामले दर्ज़ हैं। आइए जानते हैं शहाबुद्दीन कैसे बने बाहुबली शहाबुद्दीन।
अपराध-राजनीति की दुनिया में कमाया नाम
शहाबुद्दीन का जन्म 10 मई 1967 को सीवान जिले के प्रतापपुर में हुआ था। उन्होंने बिहार में पॉलिटिकल साइंस में एमए और पीएचडी की। पढ़ाई पूरी करने के बाद हिना शहाब से शादी की। ऐसा कहा जाता है कि कॉलेज के दिनों में ही शहाबुद्दीन ने अपराध और राजनीति की दुनिया में कदम रखा था। कोई उन्हें बाहुबली कहता है तो कोई दबंग।
1986 में दर्ज हुआ था मुकदमा
साल 1986 में शहाबुद्दीन के खिलाफ पहला आपराधिक मुकदमा दर्ज हुआ था। इसके बाद ये लिस्ट बढ़ती ही चली गई। पुलिस ने सीवान के हुसैनगंज थाने में शहाबुद्दीन की हिस्ट्रीशीट खोल दी और उसे ए कैटेगरी का हिस्ट्रीशीटर घोषित कर दिया।
ताकत-दबंगई से जीता चुनाव
शहाबुद्दीन ने लालू प्रसाद की अगुवाई में जनता दल की युवा इकाई में कदम रखा। पार्टी में शामिल होते ही उन्हें अपनी ताकत और दबंगई की वजह से साल 1990 में विधानसभा टिकट मिल गया। ये चुनाव जीतने के बाद 1995-1996 में फिर से चुनाव जीता। 1997 में राष्ट्रीय जनता दल का गठन हो गया। लालू प्रसाद यादव की सरकार बनने के बाद शहाबुद्दीन को पूरी तरह से शह मिल गई।
पुलिस ऑफिसर को मारा था थप्पड़
जानकारी के मुताबिक, साल 2001 में एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि राजद सरकार कानूनी कार्रवाई के दौरान शहाबुद्दीन को संरक्षण दे रही थी। वो पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को कुछ नहीं समझता था। इसी साल राजद के एक नेता को गिरफ्तार करने आए पुलिस ऑफिसर को शहाबुद्दीन ने थप्पड़ मारा था और उसके आदमियों ने पुलिसवालों की पिटाई की थी।
1 घंटे तक हुई थी गोलीबारी
इस हिंसक झड़प के दौरान शहाबुद्दीन के समर्थकों और पुलिस के बीच करीब 1 घंटे तक गोलीबारी हुई थी, जिसमें करीब 10 लोग मारे गए थे। पुलिस की गाड़ियों में आग लगाई गई थी। हालांकि, इसके बावजूद शहाबुद्दीन अपने साथियों के साथ भाग निकला। इसके बाद उस पर कई मुकदमे दर्ज किए गए थे।
अपनी सरकार चला रहा था शहाबुद्दीन
सीवान जिले में शहाबुद्दीन अपनी सरकार चला रहा है। यहां एक अदालत में लोगों के पारिवारिक विवादों और बाकी मामलों पर फैसला होता है। साल 2004 में लोकसभा चुनाव के दौरान कई जगह खास ऑपरेशन भी किए, कई दिनों तक सुर्खियों में बना रहा।
जेल से लड़ा था चुनाव
साल 1999 में एक सीपीआई (एमएल) कार्यकर्ता की किडनैपिंग और हत्या के मामले में शहाबुद्दीन गिरफ्तार कर लिया। यह गिरफ्तारी साल 2004 के लोकसभा चुनाव के ठीक आठ महीने पहले हुई थी। हालांकि, शहाबुद्दीन मेडिकल के आधार पर अस्पताल में शिफ्ट हो गया। यहां चुनाव की तैयारी के लिए पूरे इंतजाम थे।
तेजाब कांड के आरोप में जेल
शहाबुद्दीन पर साल 2004 में दो भाई गिरिश राज और सतीश राज को तेजाब से नहलाकर मारने का आरोप लगा। इस तेजाब कांड मामले में उसे गिरफ्तार कर भागलपुर जेल में बंद कर दिया गया। हालांकि, उसकी रसूख का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उसे जेल में सारी सुविधाएं मिलती थी।
कई मामले दर्ज
साल 2005 में पुलिस को छापेमारी के दौरान शहाबुद्दीन के पैतृक घर से आधुनिक हथियार समेत कई चीजें मिलीं। इसके अलावा शहाबुद्दीन पर हत्या, किडनैपिंग, जबरन वसूली करने सहित कई मामलों को लेकर केस दर्ज थे। ऐसे में गिरफ्तारी के बाद रेगुलर बेल पर बाहर निकले शहाबुद्दीन को दिल्ली में गिरफ्तार कर लिया गया।
10 साल की जेल की सजा
सीपीआई (एमएल) की हत्या के केस में सीवान कोर्ट ने साल 2007 में शहाबुद्दीन को 10 साल की जेल की सजा सुनाई। इसके बाद 2015 में गिरिश राज और सतीश राज हत्याकांड के गवाह राजीव रोशन की हत्या का आरोप भी लगा।
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