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फाइल फोटो
राजधानी, शताब्दी, महामना,गतिमान और गरीब रथ जैसे सैकड़ों नामों से रेल सफर अब बीते दिनों की बात हो जायेगी। ट्रेनों के नाम और पहचान अब आनेवाले दिनों में चिप्स,कोल्डड्रिंक, टूथ पेस्ट, च्यवनप्राश, शैम्पू, साबुन, सर्फ ,तेल जैसे हजारों तरह के उत्पाद के हवाले होगा।
तो जाहिर है घोषणाएं भी कुछ ऐसे होंगी की यात्रीगण कृपया ध्यान दें कुरकुरे एक्सप्रेस कुछ ही देर में प्लेटफार्म नम्बर 1 पर आने वाली है, और कोलड्रिंक राजधानी अपने निर्धारित समय के मुताबिक ही चल रही है या फिर च्यवनप्राश सुपरफास्ट अपने निर्धारित समय से 8 घंटे देरी से चल रही है।
विज्ञापन के जरिए आय बढ़ाने के लिए रेलवे ने एक नई योजना तैयार की है। योजना के तहत कंपनियां किसी भी ट्रेन के लिए मीडिया अधिकार खरीद सकती है। इसके अलावा ट्रेन के अंदर और बाहर दोनों जगह विज्ञापन कर सकती है।
रेल मंत्रालय के प्रवक्ता अनिल सक्सेना के मुताबिक शुरुआत ट्रेनों से की जा रही है, अगर ये प्लान सफल रहता है तो आगे स्टेशनों के नाम को भी कंपनियों या उनके ब्रांडस के नाम से जोड़ने पर विचार किया जा सकता है।
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हालांकि रेल मंत्रालय इस योजना पर एक साल से काम कर रहा है, लेकिन रेल विकास शिविर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कमर्शियल एडवरटाइजिंग के जरिए आमदनी बढ़ाने पर जोर देने के बाद रेल मंत्रालय इसे जल्द लागू करने में जुट गया है।
वैसे यूपीए के समय में भी इस तरह की शुरुआत की गई थी। इलाहाबाद से नई दिल्ली जाने वाली प्रयागराज एक्सप्रेस के सभी डिब्बों में टेलीकॉम कंपनी आईडिया ने विज्ञापन लगाए थे। इससे रेल को अच्छी आय भी हुई लेकिन मजबूत पॉलिसी के अभाव में ये योजना सफल नहीं हो पाई थी।
रेल की खस्ता आर्थिक हालत को दुरुस्त करने के लिए सुरेश प्रभु लगातार कदम उठा रहे हैं लेकिन ज्यादातर कदम यात्रियों की जेब पर भारी पड़ रहे हैं।
रेलवे के मुताबिक बिना यात्री किराया बढ़ाए आमदमी बढ़ाने के लिए ये योजना कारगार साबित हो सकती है।
इस नीति के तहत रेलवे विज्ञापन के अलावा जिन अन्य मदों से रेवेन्यू जुटाना चाहता है उसमें एटीएम के लिए बैंकों को स्पेस देना.पहले चरण में 2400 एटीएम स्पेस रेलवे बिभिन्न प्लेटफार्म पर देगा.इसके अलावा रेलवे प्रमुख स्थानों, पुल और अपने आकर्षक स्थलों को भी कमर्शियल करने की योजना पर काम करेगा।
Source : madhurendra