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डाकोला सीमा विवाद पर भूटान ने चीन के दावे का किया खंडन, बताया अपनी सरहद

बीजिंग के डाकोला के दावे का भूटान ने खंडन किया है। भूटान सरकार ने चीन के विदेश मंत्रालय के उस दावे को खारिज कर दिया है जिसमें उन्होंने डाकोला को भूटान में न होने का दावा किया था।

Updated on: 10 Aug 2017, 03:18 PM

highlights

  • चीन ने किया था डाकोला के भूटान में नहीं होने का दावा
  • भूटान की दो टूक- भूटान आर्मी कैंप के करीब सड़क बनाने का काम तुरंत रोके चीन
  • भूटान के साथ चीन का नहीं हो कोई सीधा राजनयिक संबंध, भारत के जरिए बना रहता है संपर्क

नई दिल्ली:

चीन के डाकोला के दावे का भूटान ने खंडन किया है। भूटान सरकार ने गुरुवार को चीन के विदेश मंत्रालय के उस दावे को खारिज कर दिया है जिसमें उन्होंने डाकोला को भूटान की सीमा में न होने का दावा किया था।

भूटान ने अपनी स्थिति राजनैतिक माध्यम से चीन को बता दी है। भूटान सरकार के आधिकारिक सूत्रों ने समाचार एजेंसी एएनआई के साथ फोन पर हुई बातचीत पर बताया, 'डाकोला के सीमा के मुद्दे पर हमारी स्थिति बहुत स्पष्ट है। कृपया हमारे बयान को देखें जो कि भूटान के विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर 29 जून, 2017 को प्रकाशित किया गया है'

भूटान के सूत्रों ने चीन के शीर्ष राजनयिक वांग वेनली द्वारा किए गए एक उस असंतुष्ट करने वाले दावे का जवाब दिया है जिसमें चीन ने डाकोला के भूटान की सीमा में न होने का दावा किया था। भूटान ने राजनयिक चैनलों के माध्यम से बीजिंग को बताया है कि इस गतिरोध का क्षेत्र उनके क्षेत्र में नहीं था।

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वांग चीन के विदेश मंत्रालय में सीमा और महासागर मामलों के विभाग के उप महानिदेशक हैं। उन्होंने बुधवार को एक भारतीय मीडिया प्रतिनिधिमंडल के दौरे पर भेज यह जानकारी दी थी। हालांकि, उन्होंने अपने दावे का कोई सबूत नहीं दिया था, जिसे भूटान के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि यह क्षेत्र थिंपू की स्थिति और कदमों के तह्त पूर्ण संघर्ष में है।

यह स्वीकार करते हुए कि भूटान ने 16 जून में डाकोला क्षेत्र में चीनी सरकार को सड़क बनाने की अनुमति देकर, द्विपक्षीय समझौते का उल्लंघन करते हुए बीजिंग का विरोध किया था। वांग ने कहा, 'घटना के बाद, भूटान ने इसे स्पष्ट कर दिया कि जिस क्षेत्र पर संघर्ष है वह भूटान के क्षेत्र में नहीं है।'

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उन्होंने आगे कहा कि,'भूटानियों को यह बहुत अजीब लगता है कि भारतीय सीमा सैनिक चीनी मिट्टी पर हैं।' और यह भी कहा गया कि उनके विचारों को भूटानी राज्य मीडिया और कानूनी ब्लॉगों से मिलाया गया है, जिसमें 'अधिक ठोस जानकारी' है। हालांकि भूटान के आधिकारिक सूत्रों ने इन आरोपो का गुरुवार को साफतौर पर कड़ा खंड़न किया है और कहा है कि उनके विदेश मंत्रालय ने 29 जून को अपने स्टेटमेंट में इस बात पर ज़ोर दिया था कि, 'भूटान ने चीन को ज़मीनी तौर पर और राजनयिक चैनलों के ज़रिए साफ कर दिया है कि भूटान की सरहद के अंदर सड़क निर्माण 1988 और 1998 में दोनों पक्षों के बीच हुए द्विपक्षीय समझौतों का साफ उल्लंधन है और हम दोनों देशों के बीच सीमा को चिह्नित करने की प्रक्रिया को प्रभावित करती है।'

भूटान के विदेश मंत्रालय ने स्टेटमेंट जारी कर रहा कि डाकोला (डोकलाम) क्षेत्र में भूटान आर्मी कैंप के करीब सड़क बनाने का काम तुरंत प्रभाव से रोक देना चाहिए। भारत ने भी भूटान विदेश मंत्रालय की इस बात पर ज़ोर देते हुए कहा है कि, 'डाकोला क्षेत्र में भूटान की सरहद के अंदर चीन का सड़क निर्माण कराना 1988 और 1998 में दोनों पक्षों के बीच हुए द्विपक्षीय समझौतों का सीधा उल्लंधन है।'

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भारत भी चीन को बता चुका है कि सड़क निर्माण नई दिल्ली के लिए भी सुरक्षा के लिहाज़ से गंभीर मुद्दा है। भारत ने पहले ही कहा है कि बातचीत के लिए ज़रुरी है कि दोनो पक्ष अपनी सेनाएं इस इलाके से पीछे हटाएं।

बता दें कि भूटान का चीन के साथ कोई सीधा राजनयिक संबंध नहीं है और यह नई दिल्ली के साथ अपने राजनयिक मिशन के ज़रिए बीजिंग के साथ संपर्क बनाए रखता है। सीमा विवाद को सुलझाने के लिए भूटान और चीन के बीच 24 दौरों की बातचीत हो चुकी है जबकि भारत और चीन ने 19 दौरों में बातचीत की है।

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