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Indira Gandhi Birth Anniversary 2022: इंदिरा गांधी के सात फैसलों से बदले देश के हालात, पाकिस्तान को मिली करारी हार

भारत की पहली महिला पीएम इंदिरा गांधी (Indra Gandhi) की आज जयंती है. हमारे देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ( Pandit Jawaharlal Nehru) की   वे पुत्री थीं. उनका जन्म 19 नवंबर 1917 में हुआ था.

Updated on: 19 Nov 2022, 01:06 PM

नई दिल्ली:

Indira Gandhi Birth Anniversary 2022: भारत की पहली महिला पीएम इंदिरा गांधी (Indra Gandhi) की आज जयंती है. हमारे देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ( Pandit Jawaharlal Nehru) की वे पुत्री थीं. उनका जन्म 19 नवंबर 1917 में हुआ था. इंदिरा गांधी शुरूआत से अपने पिता के नक्शे कदमों पर चल रही थीं. मात्र 11 वर्ष की उम्र में इंदिरा ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ बच्चों की वानर सेना को तैयार किया था. वे 1938 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गईंं. जब जवाहरलाल नेहरू पीएम बने तो इंदिरा ने सरकार के लिए कार्य करना जारी रखा. उन्हें शुरूआत में मूक गुड़िया कहकर भी पुकारा गया. पंडित नेहरू के बाद इंदिरा ने पिता की राजनीतिक विरासत संभाली. वे देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं. उन्होंने अपनी सरकार में कई अहम निर्णय लिए. कई फैसले काफी दमदार थे. इन निर्णयों की बदौलत उनका नाम हमेशा के लिए इतिहास में दर्ज हो गया. आइए जानते हैं उनके कुछ बड़े फैसले जिसने देश को प्रभावित किया. 

देश में बैंकों का राष्ट्रीयकरण 

इंदिरा सरकार में बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया. 19 जुलाई, 1969 को एक अध्यादेश लाया गया. यह 14 निजी बैंको के राष्ट्रीयकरण के लिए था. इन 14 बैंकों में देश का करीब 70 फीसदी पैसा जमा था. अध्यादेश पारित होने के बाद इन बैंकों का मलिकाना हक सरकार के पास चला गया. इस तरह से आर्थिक समानता को बढ़ावा दिया गया. 

1971 में पाकिस्तान को दी करारी हार

इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान को ऐसा जख्म दिया, जिसे वह आज भी याद कर रोता है. 1971 में पाकिस्तान से युद्ध हुआ. इसके बाद भारत के हाथों पाकिस्तान को शर्मनाक हार झेलनी पड़ी. पाकिस्तान के दो टुकड़े हो गए. दरअसल पाकिस्तान में उस समय सैन्य शासन था. उसकी सेना ने पूर्वी पाकिस्तान में जुल्म ढहा रखा था. इस कारण करीब एक करोड़ शरणार्थी भागकर भारत में आ गए. इसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बड़ा युद्ध हुआ. इसमें पाकिस्तान की शर्मनाक हार हुई. उसके 90 हजार सैनिकों को युद्धबंदी बना लिया गया. 

19 माह चला आपातकाल 

इंदिरा गांधी सरकार में इमरजेंसी को लोग आज भी याद करते हैं. दरअसल इंदिरा गांधी के संबंध में इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक याचिका को दाखिल किया गया. इस याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी के खिलाफ​ निर्णय सुनाया. उन पर छह सालों के लिए चुनाव लड़ने पर रोक लगाई गई. उनसे संसद से इस्तीफा    देने को कहा गया. मगर इंदिरा गांधी ने हाईकोर्ट का फैसला मानने से इनकार कर दिया. इसके बाद देश में विरोध प्रदर्शन आरंभ हो गए. उनसे इस्तीफा देने की मांग की गई. 25 जून, 1975 को आपातकाल लगाया गया. बड़ी संख्या में विरोधियों को पकड़ा गया. भारत में इस दिन को काला दिन माना जाता है. आपातकाल करीब 19 माह तक रहा. 

परमाणु परीक्षण की रखी बुनियाद 

भारतीय इतिहास में 18 मई, 1974 का दिन अहम माना जाता है. इस दिन भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण करके दुनिया को हैरान ​कर दिया. इस ऑपरेशन को स्माइलिंग बुद्धा नाम दिया. 

राजपरिवरों के​ लिए भत्ते को खत्म करना 

भारत को आजादी मिलने के बाद से देश में रियासतों के विलय करने वाले राजपरिवारों का तय रकम राजभत्ते के रूप में मिलती थी. इस राशि को प्रिवी पर्स भी कहा जाता था. इंदिरा गांधी ने वर्ष 1971 में संविधान संशोधन के तहत इस तरह के चलन को पूरी तरह से खत्म कर दिया. इसे सरकारी धन की बर्बादी करार दिया. 

ऑपरेशन मेघदूत के नाम से अभियान चलाया 

पाकिस्तान ने 1984 में सियाचिन पर कब्जे का प्लान बनाया था. भारत को इसकी भनक लग गई थी. भारत ऑपरेशन मेघदूत के नाम से एक अभियान चलाया. इंदिरा गांधी ने इसकी मंजूरी दे दी. इसके बाद पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी.  

आतंकवाद के खात्मे के लिए ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया 

भारत के बंटवारे को लेकर जरनैल सिंह भिंडरावाले और उसके सैनिक अड़े हुए थे. उनकी मांग थी एक अलग देश खालिस्तान बनाया जाना चाहिए. देश की सेना से बचने के लिए  भिंडरावाले और उसके साथी गोल्डन टेंपल में छिप गए. तब भारतीय सेना ने 'ऑपरेशन ब्लूस्टार' अभियान चलाया. इस ऑपरेशन में भिंडरवाले और उसके साथियों को मार गिराया गया. इसमें कुछ आम नागरिकों की भी मौत हो गई थी. इस अभियान का बदला लेने के लिए बाद में इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई.