logo-image

भारतीयों का मानना शब्द क्लियर लेकिन इंग्लिश में बोलना संभव नहीं, जानें रिपोर्ट

हम अजीबो-गरीब शब्दों का उपयोग सेंस ऑफ ह्यूमर और अपना इंटेलिजेंस दिखाने के लिए उपयोग करते हैं जिसे इंग्लिश में बोल पाना संभव नहीं होता है. 

Updated on: 08 Apr 2024, 04:52 PM

नई दिल्ली:

EnglishMeinNahiJamta: कहा जाता है कि लोगों को बातचीत करने के लिए भाषा का जनना जरूरी नहीं है. इसके लिए कई तरह के भरबल या नॉन भरबल तरीके से मैसेज को दूसरे तक पहुंचाया जा सकता है. इन सबके बावजूद दुनिया भरे में बात करने के लिए कई भाषाएं और डायलॉग है. अक्सर देखा जाता है कि जब अलग-अलग भाषा के लोगों को बातचीत  करना है तो वो अंग्रेजी के जरिए मैसेज दूसरे तक पहुंचाते हैं. लेकिन, कई बार ऐसा संभव नहीं हो पाता है. अब इसी से संबंधित एक रिसर्च सामने आई है. इसमें कहा गया है कि भारतीय अपने इमोशन को दिखाने के लिए लोकल भाषा का उपयोग करते हैं लेकिन उन शब्दों को अंग्रेजी में बोलना वो भी वहीं इमोशन के साथ संभव नहीं हो पाता है. 

भारतीय भाषा से संबंधित एक रिपोर्ट सामने आई है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि करीब 51 फिसदी भारतीय लव, जोक, ह्यूमर के लिए अलग-अलग कंडीशन के लिए लोकल भाषा का उपयोग करते हैं जिसे इंग्लिश में बदलना पूरी तरह से मुमकिन नहीं होता है. आपको बता दें कि ये रिपोर्ट भाषा लर्निंग ऐप डुओलिंग ने किया है. इस काम के लिए प्लेटफॉर्म ने YouGov के साथ मिलकर सर्वे किया है. इस रिसर्च के लिए देश के बड़े शहरों के लोगों से बातचीत की गई है. इस सर्वे में शहरी लोगों का कहना है कि वो बातचीत के दौरान कई बार अपने स्थानीय भाषा के फ्रेज का उपयोग करते हैं.

इंग्लिश में बोल पाना संभव नहीं

रिसर्च में पाया गया है कि करीब 68 फिसदी शहरी भारतीयों का कहना है कि उनके भाषाओं में कई ऐसे फ्रेज या शब्द होते हैं जिसका मतलब वो अच्छे तरीके से समझते है लेकिन इंग्लिश में इसे कैसे व्यक्त करें ये पता नहीं चलता है. इतना ही नहीं 51 फिसकी लोगों का मानना है कि कई बार देखा जाता है कि हम अजीबो-गरीब शब्दों का उपयोग सेंस ऑफ ह्यूमर और अपना इंटेलिजेंस दिखाने के लिए उपयोग करते हैं जिसे इंग्लिश में बोल पाना संभव नहीं होता है. 

नया कैंपेन

आपको बता दें कि डुओलिंगो ने इंस्टाग्राम पर एक नया कैंपेन शुरू किया है जिसे '#EnglishMeinNahiJamta' का नाम दिया है.  इसके जरिए यूजर्स अपनी लोकल भाषा की जानकारी दे रहे हैं जिसमें वो बता रहे हैं कि लोकल भाषा में बोले गए शब्दों को अंगेजी में बदलने पर पूरा मतलब ही बदल गया. जिससे शब्द का भाव ही बदल जाता है.